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प्रार्थनापत्र: ट्रान्सवाल सर्वोच्च न्यायालयको

इसलिए मैं, आपके पास जो मेरा प्रार्थनापत्र और अन्य कागज हैं, उनकी वापसीका आवेदन करना चाहता हूँ। मैंने जो कागजात माँगे हैं वे मन्त्री, ब्रिटिश भारतीय संघ, पो० ऑ० बॉक्स ६५२२, जोहानिसबर्गको भेजे जा सकते हैं।

आपका, आदि,
इब्राहीम इस्माइल अस्वात

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-७-१९०८

१८२. प्रार्थनापत्र: ट्रान्सवाल सर्वोच्च न्यायालयको[१]

[जोहानिसबर्ग,
जून २३, १९०८]

वेरीनिगिंगके इब्राहीम इस्माइल अस्वातकी अर्जी

प्रिटोरियाके मॉटफोर्ड चैमनेको दिये गये कागजों और दस्तावेजोंकी वापसीकी माँगके लिए मैं वेरीनिगिंगका इब्राहीम इस्माइल अस्वात सर्वोच्च न्यायालयके माननीय न्यायाधीशोंके समक्ष नम्रतापूर्वक निवेदन करता हूँ कि:

(१) मैं वेरीनिगिंगमें थोक और फुटकर व्यापार करनेवाला भारतीय हूँ।

(२) मैं ट्रान्सवालमें पिछले १९ वर्षसे रह रहा हूँ।

(३) विगत जनवरी और फरवरीमें जोहानिसबर्गके ब्रिटिश भारतीय संघकी जो सभाएँ[२] हुईं उनमें से कुछमें मैं हाजिर था।

(४) उनमें बताया गया था कि एशियाई कानूनके खिलाफ चल रही लड़ाईके बारेमें भारतीय समाज और सरकारके बीच समझौता हो गया है।

(५) ब्रिटिश भारतीय संघके मन्त्री श्री मो० क० गांधीने इस समझौते की शर्तोको इस तरह समझाया था:

(क) ट्रान्सवालके निवासी भारतीय समाजके नेताओं और सरकार, दोनोंकी सहमतिसे निश्चित फार्मके अनुसार, तीन माहके अन्दर स्वेच्छया पंजीयन करा लेंगे।

(ख) जो ट्रान्सवालके बाहर हों किन्तु यहाँ रह चुकनेके कारण वापस आनेके हकदार हों उन्हें भी स्वेच्छया पंजीयनका अधिकार होगा।dhr|5em}}

  1. इसका मसविदा भी गांधीजी और ईसप मियाँके हलफनामोंके साथ ही तैयार किया गया था। देखिए, "जोहानिसबर्ग की चिट्ठी", पृष्ठ २८८। सम्भवत: बैरिस्टर वार्डकी सलाह लेकर इसका मसविदा गांधीजीने ही बनाया था। जो भी हो, यह न्यायालयमें गांधीजीके हलफनामेके पहले पेश किया गया। गांधीजीने अपने हलफनामेमें इसका उल्लेख किया है; देखिए गांधीजीका "हलफनामा", पृष्ठ ३०६-७। यह इंडियन ओपिनियनमें "विशेष रिपोर्ट" के रूपमें छपा था।
  2. देखिए "भाषण: ब्रिटिश भारतीय संघकी सभा", पृष्ठ ४५-७ और ५५-६।