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१८४. हलफनामा

जोहानिसबर्ग
जून २३, १९०८

मैं, जोहानिसबर्गका मो० क० गांधी, न्यायवादी [तथा] ब्रिटिश भारतीय संघका अवैतनिक मन्त्री, इसके द्वारा शपथपूर्वक और ईमानदारीसे निम्नलिखित घोषणा करता हूँ:

१. मैंने फेनिखन (वेरीनिगिंग) के इब्राहीम इस्माइल अस्वातकी २३ जून १९०८ की याचिका[१] तथा ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष ईसप इस्माइल मियाँका २३ जून १९०८ का हलफनामा[२] पढ़ा है।

२. इब्राहीम इस्माइल अस्वातने अपनी याचिकामें समझौतेके सम्बन्धमें जो वक्तव्य दिया है, वह सही है।

३. मुझे कई अन्य भारतीयोंके साथ १९०७ के एशियाई कानून संशोधन अधिनियम, संख्या २ पर अमल न करनेके कारण जेलकी सजा मिली थी। मेरा विश्वास था, और अब भी है कि उक्त अधिनियम स्वतन्त्र व्यक्तिकी हैसियतसे मेरी स्वतन्त्रता तथा मेरी अन्तरात्माके विपरीत है।

४. १९०८ के जनवरी मासमें, जिस समय मैं जेलकी सजा काट रहा था, मेरा विश्वास है कि सरकारने भारतीय समाजके साथ समझौता करनेके लिए बातचीत चलाई।

५. मेरे सामने हस्ताक्षर करनेके लिए एक पत्र[३] रखा गया था जिसकी एक नकल यहाँ नत्थी की जा रही है।

६. चूँकि मैंने उस पत्रको संतोषजनक नहीं समझा और चूँकि इसमें स्वेच्छया पंजीयन करानेवाले लोगोंपर एशियाई अधिनियमके लागू न होनेका सवाल अनिर्णीत ही छोड़ दिया गया था, इसलिए मैंने उसमें कुछ परिवर्तन किये। पत्रके[४] उस परिवर्तित रूपकी भी एक नकल साथमें नत्थी की जाती है। इसके बाद चीनी संघके अध्यक्ष लिअंग क्विन तथा एक ब्रिटिश भारतीय थम्बी नायडूने और मैंने पूर्वोक्त पत्रपर हस्ताक्षर किये। उक्त दोनों सज्जन मेरे साथ ही बन्दी थे।

७. बृहस्पतिवार, ३० जनवरीको उपनिवेश-सचिवसे मिलनेके लिए मुझे पहरेमें प्रिटोरिया ले जाया गया।

८. उपनिवेश-सचिवके साथ हुई मेरी उस मुलाकातमें एशियाई कानून संशोधन अधिनियमको रद करनेके सम्बन्धमें बातचीत हुई और उसी समय पक्के तौरपर यह वचन दिया गया कि यदि एशियाई स्वेच्छया पंजीयनके लिए प्रार्थनापत्र दे दें तो अधिनियम रद कर

 
  1. देखिए "प्रार्थनापत्र: ट्रान्सवाल सर्वोच्च न्यायालयको", पृष्ठ ३०३-४।
  2. देखिए पिछला शीर्षक।
  3. और
  4. कार्टराइट द्वारा लाये गये मसविदे और उसमें गांधीजी द्वारा किये गये परिवर्तनोंके लिए देखिए "पत्र: उपनिवेश सचिवको", पृष्ठ ३९-४१।