पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/३५४

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१९१. एक पत्रका अंश[१]

[ जून २९, १९०८ के पूर्व ]

पूरी तरह सुधरनेमें अभी कुछ दिन लगेंगे। वहाँ तुम्हें कसरत आदिकी सुविधा और खुली हवा खूब मिलती है। इसलिए मुझे उसके बारेमें लिखने की जरूरत नहीं रह जाती। श्रीमती और कुमारी पायवेलसे[२] खूब मिलते रहना। उनके साथ मिलने-जुलनेसे तुम्हारे मनमें जो विचार आयें उन्हें लिख भेजना।

श्मशानके बारेमें सरकारने बाधा उठाई है। इसे मैं हिन्दुओंका अपमान समझता हूँ। सब जगह इसकी बात करना और चर्चा चलाना। यह मुद्दा ऐसा है जिसपर अच्छी तरह लड़ा जा सकता है। उसमें अनेक गोरोंकी मदद भी मिलेगी। तुम सारी हकीकत मोतीलालसे[३] मिलकर जान लेना।

यहाँके बारेमें कोई चिन्ता न करना। सम्भव है, सारा मामला बिना किसी झगड़ेके निबट जायेगा।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें गुजराती प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ६०८४) से।

१९२. इब्राहीम इस्माइल अस्वातका जवाबी हलफनामा[४]

[ जोहानिसबर्ग
जून २९, १९०८ ]

मैं वेरीनिगिंग-निवासी इब्राहीम इस्माइल अस्वात गम्भीरतापूर्वक और सचाईके साथ नीचे लिखा बयान देता हूँ:

१. मैंने प्रिटोरियाके श्री मॉटफोर्ड चैमनेके २५ जून और २६ जून, १९०८ के हलफनामे और प्रिटोरियाके श्री जे० सी० स्मट्स, उपनिवेश-सचिवका २६ जून, १९०८ का हलफनामा पढ़ा है।

२. मैं श्री मॉटफोर्ड चैमनेको लिखी गई अपनी चिट्ठीकी[५], जिसमें कि उनसे उस चिट्ठीमें उल्लिखित दस्तावेज लौटानेके लिए कहा गया था, नकल साथमें नत्थी कर रहा हूँ।

 
  1. पत्रके विषयसे जान पड़ता है कि यह या तो छगनलाल गांधी या मगनलाल गांधीको फीनिक्सके पतेपर भेजा गया था।
  2. कुमारी एडा पायवेल तब हाल ही में दक्षिण आफ्रिका आई थीं, और जून २९, १९०८ को श्री वेस्टसे उनकी शादी हुई।
  3. मोतीलाल एम० दीवान, डर्बन भारतीयोंके एक नेता।
  4. यह जस्टिस ऑफ पीस हैरी एच० जॉर्डनके सामने पेश किया गया था। अनुमानतः इसका मसविदा गांधीजीने तैयार किया था।
  5. देखिए "पत्र: एम० चैमनेको", पृष्ठ ३०२-०३।