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जवाबी हलफनामा

३. मॉटफोर्ड चैमनेने उनके उक्त हलफनामेके अनुच्छेद ४ में जिस अनुमतिपत्र और पंजीयन-प्रमाणपत्रका उल्लेख हुआ है, उन्हें लौटानेका प्रस्ताव कभी नहीं किया।

४. मैंने स्वेच्छापूर्वक जो अर्जी दी थी उसे अब मैं वापस ले लेना चाहता हूँ और जिस सरकारी कागजपर वह दी गई थी उसकी कीमत चुकानेके लिए राजी और तैयार हूँ।

इब्राहीम इस्माइल अस्वात

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-७-१९०८

१९३. जवाबी हलफ़नामा'[१]

[जोहानिसबर्ग,
२९ जून, १९०८]

मैं, जोहानिसबर्गका मोहनदास करमचन्द गांधी, शपथपूर्वक और ईमानदारीसे निम्न लिखित बयान देता हूँ:

१. मैंने प्रिटोरियाके श्री मॉटफोर्ड चैमनके, प्रिटोरिया, २५ जून और २६ जून, १९०८ के हलफनामे,[२] प्रिटोरियाके श्री जे० सी० स्मट्स, उपनिवेश-सचिवका २६ जून १९०८ का हलफनामा, और वेरीनिगिंगके श्री इब्राहीम इस्माइल अस्वातका जोहानिसबर्ग २९ जून, १९०८ का हलफनामा[३] और श्री चैमनेको लिखे गये पत्रकी नकल[४] पढ़ी है।

२. ब्रिटिश भारतीय संघके मन्त्रीकी हैसियतसे मुझे उपर्युक्त मॉटफोर्ड चैमनेका ऐसा कोई पत्र नहीं प्राप्त हुआ जिसमें उपर्युक्त इब्राहीम इस्माइल अस्वातका अनुमतिपत्र और पंजीयन प्रमाणपत्र वापस करनेका प्रस्ताव किया गया हो।

३. मैं अपने इस वक्तव्यपर दृढ़ हूँ कि श्री स्मट्सने १९०७ के अधिनियम संख्या २ को रद करनेका वचन दिया था, किन्तु मुझे सलाह दी गई है कि अधिनियमको रद करने का प्रश्न अदालतके विचाराधीन प्रश्नसे सम्बन्धित नहीं है। अतः मैं अपने वक्तव्यके समर्थन में और प्रमाण नहीं दे रहा हूँ।

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-७-१९०८
 
  1. यह हलफनामा जस्टिस ऑफ पीस हैरी एच. जॉर्डनकी अदालतमें दाखिल किया गया था।
  2. देखिए परिशिष्ट ६
  3. देखिए पिछला शीर्षक
  4. देखिए "पत्र: एम० चैमनेको", पृष्ठ ३०२-०३।