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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सरकार स्वयं अनाक्रामक प्रतिरोधी बनना चाहती है, यह श्री स्मट्सने कहा है। मैं उसे सत्याग्रह नहीं कहूँगा, क्योंकि उसका हठ तो अनुचित कहा जायेगा। सरकार इसका उपाय खोज रही है कि वह हमको हमारे प्रार्थनापत्र वापस न दे और हमें जेल भी न भेजे। इसमें उसकी नीयत खराब है। ७,००० स्वेच्छया पंजीयन करानेवालोंका भय उसके मनमें समा गया है। वे साहसी हैं और फिर संघर्ष कर सकते हैं, इसलिए उन्हें न छेड़ना ही अच्छा है। वह इसी विचारपर अमल करना चाहती है।

ये सब बातें बहुत आसानीसे समझमें आ सकती हैं। प्रत्येक व्यक्तिको इसपर विचार कर लेना चाहिए और फिर अपने मनमें प्रश्न करना चाहिए: 'क्या ऐसा संघर्ष तीन महीने पहले सम्भव था?

क्या उस समय सरकार हमसे भय मानती थी? यदि हम लड़ेंगे तो जीतेंगे---क्या इसमें कोई शक है?

झूठे पंजीयन प्रमाणपत्र

समाजके बैरी अनुचित काम करते रहते हैं। जयमल नामका एक नाई है। वह बनावटी अनुमतिपत्र बेचनेके कारण पकड़ा गया है। कहा जाता है कि उसने एक खोजेको[१] बनावटी अनुमतिपत्र बेचा। उस खोजेने उसे उसके लिए २० पौंड दिये। वहु खोजा श्री अली खमीसाके हाथमें पड़ा और उन्होंने उसे गिरफ्तार करा दिया। खोजेको शाही गवाह (जो खास गवाहके रूपमें सरकारको खबरें देकर हकीकतको जाहिर करता है, उसे अंग्रेजीमें 'किंग' का, अर्थात्, शाही गवाह कहते हैं) बनाया गया है। उस खोजेने जो गवाही दी उसीके आधारपर जयमल गिरफ्तार किया गया है। यदि मेरी यह खबर ठीक हो, तो मैं श्री अली खमीसाको बधाई देता हूँ। उन्होंने समाजकी सेवा की है। जयमल सरीखे भारतीय समाजके दुश्मन हैं। उन्हें दण्ड मिलना ही चाहिए। ऐसे व्यक्तियोंसे समाजका नुकसान हुआ है, और अभी होगा। जो ऐसे झूठे अनुमतिपत्र लेते हैं, वे नाहक फँस जाते हैं। यदि वे ऐसे काले काम करनेके बदले सत्याग्रहपर दृढ़ हो जायें तो जल्दी या देरसे, प्रत्येक अधिकारी भारतीय अर्थात् सच्चा--लम्बी मुद्दत तक रहा हुआ---शरणार्थी इस देशमें आ सकेगा। जो एकदम नये हैं और आना चाहते हैं, उन्हें आनेका विचार भी नहीं करना चाहिए।

जनरल स्मट्सका हलफनामा

जनरल स्मट्स तथा श्री चैमनेने हलफिया बयान दिया है कि श्री स्मट्सने कानूनको रद करनेका वादा कभी नहीं किया। उन्होंने यह बयान मुकदमेकी पेशीके दिन दिया। यह पहले दिन बिलकुल नहीं दिया गया, इसीसे प्रकट हो जाता है कि यह झूठा है। इससे सम्बन्धित अनेक कागजात अंग्रेजी स्तम्भोंमें प्रकाशित हुए हैं। ये गुजराती स्तम्भोंमें अगले अंकमें प्रकाशित होंगे। इस दरम्यान अनेक गुल खिल रहे हैं।

सोराबजीका मामला

श्री सोराबजीके ऊपर अभी हाथ नहीं डाला गया। श्री वरनॉन उनको देखनेके लिए आते रहते हैं। उन्हें पुलिस स्टेशनपर उपस्थित होनेके लिए कहा गया, किन्तु उन्होंने उससे एकदम इनकार कर दिया है। श्री सोराबजी जेल जानेके लिए तैयार हैं; किन्तु वे ट्रान्सवाल नहीं

 
  1. इस्माइली पथके मुसलमानोंको 'खोजा' कहते हैं।