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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

संसार भरमें एशियाइयोंको इस समझौतेके अस्तित्वकी सूचना देना या उनके लिए उस अवधि के भीतर वापस आना कभी सम्भव था।

कानूनको रद करनेके वादेके बारेमें, मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि आप कृपा करके साथका पत्र-व्यवहार[१] प्रकाशित कर दें और कानूनको रद करनेका वादा किया गया था या नहीं यह निर्णय लोगोंपर छोड़ दें। मैं इस बातकी ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि मैंने अपने २२ फरवरीके पत्रमें एशियाई कानूनको रद करने और उसकी जगह दूसरा कानून बनानेका उल्लेख किया था। इसके उत्तरमें उक्त कानूनको रद करनेके वादेका खण्डन करनेके लिए एक शब्द भी नहीं कहा गया है। सन्देह उत्पन्न होनेपर जो पत्र-व्यवहार हुआ उसमें मैंने इस वादेका उल्लेख किया है। उसका कोई खण्डन नहीं किया गया है। मेरे खास सवाल टाल दिये गये हैं। इसके साथ मैं इतना और कहता हूँ कि समझौतेको स्वीकार करनेके कारण मेरे ऊपर जो आक्रमण किया गया था उसके तुरन्त बाद श्री चैमने मुझसे श्री डोकके घर मिले थे और उन्होंने और मैंने एशियाई भाषाओंमें प्रकाशित करनेके लिए यह विज्ञप्ति तैयार की थी कि यदि एशियाई समझौतेका पालन करेंगे तो कानून रद कर दिया जायेगा। श्री चैमनेने कहा था कि वे इस विज्ञप्तिको जनरल स्मट्सके पास ले जायेंगे और तब यह प्रकाशित की जायेगी। वे दूसरे या तीसरे दिन लौटे थे, और उन्होंने मुझे सूचना दी थी कि एशियाई पंजीयन करा रहे हैं और मुझसे पूछा था कि इस बातको देखते हुए क्या विज्ञप्तिको प्रकाशित करना आवश्यक है। मुझे स्वप्नमें भी जनरल स्मट्स द्वारा वचनभंग किये जानेका खयाल नहीं था, इसलिए मैंने कहा था कि इसको प्रकाशित करनेकी जरूरत नहीं है। मैं उनको चुनौती देता हूँ कि यदि मूल मसविदा अब भी मौजूद हो तो वे उसको पेश करें। मैं यह भी कहता हूँ कि श्री चैमनेने, एक बार नहीं बल्कि अक्सर, मुझसे कहा था कि जनरल स्मट्स अपना वचन पूरा करेंगे और कानूनको रद कर देंगे, और यही कोई एक महीना पहले, मैं समय निश्चित करके उनसे विचेस्टर भवनमें मिला था जहाँ उन्होंने मेरे प्रस्तुत किये हुए मसविदेपर बातचीत की थी और उसको मोटे तौरपर मंजूर किया था। उन्होंने शपथपूर्वक इस बातसे इनकार किया है कि जनरल स्मट्सने उनकी उपस्थितिमें कानूनको रद करनेका वचन दिया था। इसी प्रकार मैं जो कुछ कह रहा हूँ उससे भी वे इनकार कर सकते हैं। किन्तु जनरल स्मट्सके लिए, उनके लिए और मेरे लिए, सत्य सर्वोपरि है।

मेरे देशवासियोंके सामने रास्ता साफ है। उनको कष्ट उठानेके लिए फिर तैयार हो जाना चाहिए। उनके कष्टोंसे लोग देख लेंगे कि कौन सचाईपर है।

मैं विवादके मुख्य मुद्दोंको दुहरा दूँ। यद्यपि कानूनको रद करनेके वादेसे इनकार किया गया है, फिर भी जनरल स्मट्स कानूनको रद करनेके लिए तैयार हैं, बशर्ते कि हम अधिवासी एशियाइयों और शिक्षित भारतीयोंके, जो प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियमके अन्तर्गत देशमें प्रवेशके अधिकारी हैं, अधिकारोंके अपहरणके सम्मुख झुक जायें।

आपका, आदि,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-७-१९०८
 
  1. स्मट्स-गांधी पत्र-व्यवहार।