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१९८. रोडेशियाके भारतीय[१]

ट्रान्सवालमें जिस ढंगका कानून प्रचलित है उसी ढंगका कानून रोडेशियामें चालू किया गया है। देखना है कि इस कानूनपर विलायतमें हस्ताक्षर होते हैं या नहीं। सम्भावना इस बातकी है कि हस्ताक्षर न होंगे। इस विषयमें दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश समितिने डटकर संघर्ष किया है। और इसके बारेमें रायटरके तार भी आ चुके हैं। रोडेशियाके भारतीयोंने एक प्रार्थनापत्र दिया है, सो बुद्धिमानी की है। वहाँके हिन्दू इधर-उधर फैले हुए हैं, इसलिए वे अधिक करनेमें असमर्थ रहे हैं। लगता है कि श्री भीमजी नायकने अच्छा खासा परिश्रम किया है।

रोडेशियाके संघर्षमें एक ऐसी बात है, जिसे अवश्य ही जान लेना चाहिए। विलायतमें रायटरने चार्टर्ड कम्पनीसे[२] पूछा तो उसके एलचीने उत्तर दिया कि भारतीयोंका अपमान करनेका उनका इरादा नहीं है, परन्तु भारतीय समाजपर प्रतिबन्धकी आवश्यकता तो है ही। तथापि अँगुलियोंका कानून लागू नहीं किया जायेगा। मानो अँगुलियोंके निशान लेनेकी प्रथाके विरोधमें ही संघर्ष छेड़ा जानेवाला हो। कानून द्वारा जनतापर दासता लादनेके पश्चात् अँगुलियोंके निशान लिये जाना या न लिये जाना कोई माने नहीं रखता। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इस कानूनको रद कर देना चाहिए। ऐसा न करके सरकार कानूनको बर- करार रखना चाहती है और यह कहना चाहती है कि अँगुलियोंके निशान लेनेका आग्रह न किया जायेगा।

पाठकोंको हमारा सुझाव है कि वे कानूनमें और अँगुलियोंके निशानोंमें जो अन्तर है। उसे अंकित कर लें। हमें रोडेशियाके भारतीयोंको यह परामर्श देनेमें संकोच नहीं होता है कि यदि अँगुलियोंके निशान देनेसे इस कानूनको रद कराया जा सकता है तो वे दे दें। इस कानूनका अर्थ स्थायी दासता है। अँगुलियोंके निशान देना उस दासताके निवारणका एक साधन हो सकता है। निश्चय ही हमारे कहनेका यह तात्पर्य नहीं है कि वे लोग अँगुलियोंके निशान देनेकी तत्परता अभीसे दिखाने लगें। उन्हें इंग्लैंडसे उत्तर प्राप्त होनेतक प्रतीक्षा करनी चाहिए। परन्तु हम आशा करते हैं कि यदि उत्तर हमारे पक्षमें न हुआ तो हम सत्याग्रह करेंगे और कानूनके अधीन होनेसे इनकार करेंगे। हाँ, उन्हें एक आवेदन पत्र इंग्लैण्ड भी भेजना चाहिए।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ४-७-१९०८
 
  1. देखिए "रोडेशियाके भारतीय", पृष्ठ २५७-५८।
  2. ब्रिटिश दक्षिण आफ्रिका कम्पनीने अपना अधिकार-पत्र अक्तूबर १८८९ में प्राप्त किया था और सितम्बर १९२३ तक रोडेशियाका शासन भार सम्हाला था। सन् १९२३ में यह उपनिवेश औपचारिक रूपसे ब्रिटिश साम्राज्यमें मिला लिया गया। सेसिल रोडस इस उपनिवेशके मार्गदशक और मुख्य व्यवस्थापक थे।