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पत्र: 'स्टार' को

खाऊँ, मजदूर चाहता है कि मैं छलूँ और ग्राहकको लगता है कि मैं बीचमें कमा लूँ। इस तरह व्यवहार बिगड़ता है; लोगोंमें खटपट पैदा होती है, भुखमरी जड़ पकड़ती है, हड़तालोंमें वृद्धि होती है, साहूकार बेईमान बनते हैं और ग्राहक नीतिपर नहीं चलते। एक अन्यायसे अनेक अन्याय पैदा होते हैं और अन्तमें साहूकार, कारीगर तथा ग्राहक सब दुःखी होते हैं। जिस प्रजामें ऐसी प्रथा प्रचलित है वह प्रजा अन्तमें हैरान होती है। प्रजाका धन ही विष हो जाता है।

इसीलिए ज्ञानियोंने कहा है कि जहाँ पैसा ही परमेश्वर है वहाँ सच्चे परमेश्वरको कोई पूजता ही नहीं। धन और ईश्वरमें बनती नहीं। गरीबके घरमें ही प्रभु निवास करते हैं। अंग्रेज लोग यों जबानसे तो बोलते हैं, लेकिन व्यवहारमें पैसेको सबसे ऊँचा स्थान देते हैं, धनिकोंकी गिनती करके प्रजाकी सुख-समृद्धिका अन्दाजा लगाते हैं। और अर्थ-शास्त्री पैसा झटपट कमा लेनेके नियम गढ़ते हैं, जिन्हें सीखकर लोग पैसा कमायें। सच्चा अर्थ-शास्त्र तो न्यायबुद्धिपर आधारित अर्थ-शास्त्र है। प्रत्येक स्थितिमें रहकर न्याय किस प्रकार किया जाये, नीतिका पालन किस प्रकार हो---इस शास्त्रको जो समाज सीखता है, वही सुखी होता है। बाकी सब निस्सार है, "विनाशकाले विपरीतबुद्धि" के समान है। जनताको यह सिखाना कि वह किसी भी कीमत पर धनवान बने, उसे विपरीत बुद्धि सिखाने-जैसा है।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ४-७-१९०८

२००. पत्र: 'स्टार' को[१]

[ जोहानिसबर्ग ]

[ सम्पादक
'स्टार'
महोदय, ]

श्री डंकनने एशियाइयोंके द्वारा संगठित अवैध प्रवेशके सम्बन्धमें अपने एक पत्रमें जो आरोप लगाया है उसे मैं, उनके प्रति पूर्ण आदरभाव रखते हुए, अब भी 'अनुचित' कहूँगा। उनके इस पत्रसे मुझे जनताकी स्थिति अधिक पूर्णतासे बतानेका अवसर मिला है।

संगठित अवैध प्रवेशका आरोप ऐसा है, जिसका एशियाइयोंने सदा खण्डन किया है। और केवल खण्डन करना ही उनके अधिकारमें था। एक कोयलके बोलनेसे बसन्त नहीं आता और न अवैध प्रवेशकी इक्की-दुक्की घटनाओंको पूरी जातिकी निन्दा करनेके लिए प्रयुक्त किया जा सकता है। आरोपके तीन हिस्से हैं:

(१) एशियाई ऐसे अनुमतिपत्रोंके आधारपर जो वैध रूपसे उनके न थे, प्रविष्ट होते हैं।

(२) वे छल-कपटसे लिये गये अनुमतिपत्रोंके आधारपर प्रविष्ट होते हैं।

(३) वे जाली अनुमतिपत्रोंके आधारपर प्रविष्ट होते हैं।

 
  1. यह इंडियन ओपिनियनमें यह 'श्री डंकनको प्रत्युत्तर' शीर्षकसे प्रकाशित किया गया था।