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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

एशियाइयोंके पंजीयक श्री चमनेने कहा, मैं अभियुक्तको नहीं जानता, किन्तु इसी नामके एक व्यक्तिने २८ अप्रैल, १९०८ को फोक्सरस्टमें मजिस्ट्रेटके कार्यालयकी मारफत अनुमतिपत्रके लिए प्रार्थनापत्र दिया था। उसने अधिनियमके अन्तर्गत पंजीयन प्रमाणपत्रके लिए नहीं बल्कि पंजीयनके लिए प्रार्थनापत्र दिया था। मैंने प्रार्थीके दावोंपर विचार किया और पाया कि वह पंजीयनका हकदार नहीं है, और मैंने फोक्सरस्टके मजिस्ट्रेटको तदनुसार सूचित कर दिया। मैंने अभियुक्तको गिरफ्तार करनेके निर्देशोंकी सूचना पुलिसको दे दी, हालाँकि ये निर्देश स्वयं मैंने जारी नहीं किये थे।

जिरहके उत्तरमें [ उन्होंने कहा कि ] स्वेच्छया पंजीयनके लिए अभियुक्तने जो प्रार्थनापत्र दिया था वह सरकारके साथ हुए समझौतेके अनुरूप था।

उन्होंने बताया, मुझे ज्ञात नहीं कि अभियुक्त फोक्सरस्टमें कैसे आ गया। समझौता उन व्यक्तियोंको ध्यानमें रखकर किया गया था जो उपनिवेशमें रह रहे थे या जिन्हें तीन माहके अन्दर लौटनेका अधिकार था। उक्त पंजीयन-प्रार्थनापत्रके साथ सच्चरित्रताके अनेक प्रमाणपत्र थे।

श्री गांधीने गवाहसे उन प्रमाणपत्रोंको पढ़ने को कहा। सरकारी वकीलने आपत्ति की।[१] श्री गांधीने दलील दी कि ये कागजात पूरे रेकर्डका एक अंश हैं।

न्यायाधीश: आप यह सफाई पेश करना चाहते हैं कि अभियुक्तको गलत अधिनियमके अन्तर्गत लाया गया है। आप उन्हें प्रवासी अध्यादेशके अन्तर्गत लाना चाहते हैं।

श्री गांधी: जी हाँ, बेशक।

न्यायाधीश: मैं भली-भाँति समझ गया।

सरकारी वकीलने दलील दी कि दस्तावेजोंको सामान्य ढंगसे सिद्ध करना चाहिए। श्री गांधीने जवाब दिया, यदि गवाह दस्तावेजोंको पेश नहीं करता तो मैं उन्हें सिद्ध नहीं कर सकता। दस्तावेज मेरे मुवक्किलकी सम्पत्ति हैं, और मैंने गवाहपर नोटिस जारी की थी कि वह उन्हें पेश करे। सरकारी वकीलने अपनी आपत्ति बरकरार रखी, और प्रसंगवश न्यायाधीशने उन दस्तावेजोंको देखा। उन्होंने कहा कि दस्तावेजोंपर 'साउथ आफ्रिकन कॉस्टेबुलरी' शीर्षक पड़ा है, और प्रत्यक्षतः ये उन्हींकी सम्पत्ति हैं।

श्री गांधीने गवाहसे फिर जिरह शुरू की। जवाबमें गवाहने कहा कि मैं मुख्य प्रवासी अधिकारी भी हूँ। मुझे श्री गांधीका एक तार मिला था, जिसमें मुझे सूचित किया गया था कि अभियुक्त रेलगाड़ीपर सवार होनेवाला है; और यह भी कि प्रवासी अधिनियमके अन्तर्गत अपेक्षित सारी योग्यताएँ उसमें हैं और उसके पास पर्याप्त साधन हैं।

[गांधीजी :] क्या [फोक्सरस्टमें] आपके अधिकारियोंने अभियुक्तकी शैक्षणिक योग्यताकी जाँच की थी?

[चैमने :] नहीं।

 
  1. यहाँ श्री चैमनेने सरकारी वकीलसे परामर्श किया, फिर सुपरिटेंडेंट वरनॉनके जरिये भी बात की। इसपर गांधीजीने आपत्ति की।