पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/३८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय विचारके पश्चात् यह गम्भीर संकल्प किया था कि वे एशियाई कानूनके आगे सिर न झुकायेंगे। आज वह संकल्प काफी विख्यात हो चुका है। इस समस्याका स्वरूप धार्मिक था। मजहबकी बिनापर तुर्की मुसलमानोंके विरुद्ध निर्योग्यता तब भी विधेयकमें मौजूद थी और वह हमेशा शिकायतका आधार बतलाई जाती रही है। मेरी विनम्र सम्मतिमें गम्भीरताके साथ किया गया संकल्प स्वयं ही उस कानूनके विरुद्ध पर्याप्त धार्मिक आपत्ति है। और जो राज्य प्रजाके द्वारा उठाई गई इस प्रकारकी आपत्तिकी अवहेलना करता है, वह अन्तरात्मासे प्रकट की गई आपत्तिकी कद्र नहीं कर पाता है और इसलिए अपने साधारण कर्तव्यका पालन करने में असफल होता है। अब मैं जनताके सामने सामान्य धार्मिक आपत्तिकी व्याख्या करनेका प्रयत्न करूँगा। 'क' और 'ख' एक ही राज्यके निवासी हैं। 'ख' के विरुद्ध जालसाजीका आरोप है। यद्यपि 'क' और 'ख' दोनोंने आरोपके सम्बन्धमें सार्वजनिक जाँचकी मांग की है और जालसाजी कभी सिद्ध नहीं हुई है, तिसपर भी 'क' और उसके ८ वर्षसे ऊपरकी उम्रके बच्चों तथा 'ख'को आदेश दिया जाता है कि वे 'ख' की कथित धोखेबाजीके परिणाम-स्व यदि 'क' उसको स्वीकार किये लेता है और उसी तरह 'ख' भी, तो 'क' और 'ख' दोनों अपने-अपने मजहबके प्रति हिंसा करते हैं, क्योंकि व्यक्तिगत असुविधा अथवा हानिके भयसे दोनोंमें से प्रत्येक अपने पौरुष एवं अन्तरात्माको त्याग देने के कारण अपने धर्मके प्रति अनाचार करता है। यहाँ 'क' और 'ख' की जो स्थिति है वही इस उपनिवेशमें प्रत्येक एशियाईकी है। चाहे अमुक मजहबके विरुद्ध कोई भेदभाव, पक्षपात अथवा बन्धनकारी शपथ न भी हो तो भी प्रधान धार्मिक आपत्ति यही होगी। यदि यह सच हो कि एशियाई भावना बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई है तो उनकी भावनाकी कद्र करनेसे वतनियोंके दिमागपर घातक प्रभाव पड़नेके बजाय उनमें विश्वास उत्पन्न होगा, क्योंकि उनसे कहा जायेगा कि यदि एक प्रतिनिधित्व-विहीन वर्गकी भावनाओंका आदर किया जाता है तो उसी स्थितिवाले दूसरे वर्ग की भावनाका भी आदर किया जानेकी सम्भावना है। रुतबा एक ऊँचा घोड़ा है जो कुछ सम्भावित परिस्थितियोंमें अपने सवारको, यदि वह सावधानीसे सवारी न कर रहा हो तो, नीचे गिरा सकता है। आपका, आदि, मो० क० गांधी [अंग्रेजीसे] स्टार, ४-१-१९०८ १. देखिए खण्ड ६, पृष्ठ १९५, २२४ । Gandhi Heritage Portal