पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६. भेंट: 'स्टार' को

[ जोहानिसबर्ग

जनवरी ६, १९०८]

आज प्रातः सामान्यतः वर्तमान स्थितिके सम्बन्ध में और मुख्यतः प्रिटोरियामें उपनिवेशसचिव द्वारा दिये गये वक्तव्यके सम्बन्ध में 'स्टार' के प्रतिनिधिके भेंट करनेपर श्री गांधीने कहा: जनरल स्मट्स जब सब एशियाइयोंको कुली कहते हैं तब कदाचित् उनको इस बातका कोई खयाल नहीं होता कि वे स्थानीय सरकार और भारतीय समाज दोनोंकी सेवा करनेके इच्छुक मेरे सरीखे भारतीयोंकी स्थिति कितनी विषम बना देते हैं। वे ऐसी भाषाका प्रयोग करके खाईको पाटनेकी अपेक्षा केवल अधिक चौड़ी ही करते हैं।

१८८५का कानून ३ और शान्ति-रक्षा अध्यादेश

जनरल स्मट्सने प्रत्यक्षतः १८८५ के कानून ३ और शान्ति-रक्षा अध्यादेशको मिला दिया है। १८८५ के कानून ३ से एशियाइयोंका आव्रजन कभी नहीं रुका; उससे भारतीय व्यापारियोंको केवल ३ पौंडका दण्ड देना पड़ा। यदि मैं थोड़ा इतिहास बताऊँ तो आरम्भमें भारतीय व्यापारियोंपर यह कर प्रतिबन्धक रूपमें अर्थात् २५ पौंडके हिसाब से लगाया जानेवाला था। लॉर्ड डर्बीने इसपर आपत्ति की और संशोधक कानूनमें यह ३ पौंड कर दिया गया। इससे प्रकट होता है कि स्वर्गीय श्री क्रूगरकी सरकारका उद्देश्य एशियाइयोंके प्रवासको रोकना कदापि नहीं था। वस्तुतः, मुझे अच्छी तरह याद है, स्वर्गीय राष्ट्रपति क्रूगरने भारतीय व्यापारियोंके एक शिष्टमण्डलसे कहा था कि जबतक भारतीय उनके किसानोंको अपनी उपज बेचने में सहायता देते हैं तबतक उन्हें देश में भारतीयोंके आनेपर कोई आपत्ति नहीं है; और वे भारतीयोंको देशमें समानताके आधारपर नहीं रहने देना चाहते।

प्रतिबन्ध लगानेका पहला प्रयत्न

प्रवासपर प्रतिबन्धकी बात केवल तभी सोची गई जब यहाँ ब्रिटिश राज्य स्थापित हो गया और शान्ति-रक्षा अध्यादेश, जो केवल राजद्रोहियों और अपराधियोंका मुकाबला करनेके लिए बनाया गया था, भारतीयोंका प्रवास रोकनेके लिए चतुरतापूर्वक और प्रभावकारी रूपसे काममें लाया गया। इस अन्तरको ध्यानमें रखना आवश्यक है, क्योंकि एशियाई पंजीयन अधिनियमको १८८५ के कानून ३ का संशोधक अनुचित रूपसे कहा जाता है। जहाँतक ब्रिटिश उपनिवेशोंका और मुख्यतः ट्रान्सवालका सम्बन्ध है, उससे एक बिलकुल नई नीतिका आरम्भ होता है । पंजीयन अधिनियमके लागू होने से पहले शिनाख्तका कोई प्रश्न ही नहीं था; उसका विधान केवल शान्ति-रक्षा अध्यादेश में था। यदि शान्ति-रक्षा अध्यादेशके अन्तर्गत शिनाख्त अपूर्ण थी तो कतई कोई नया कानून बनाये बिना एक अधिक पूर्ण प्रणाली खोजी जा सकती थी, जैसा कप्तान हैमिल्टन फाउलने किया था; किन्तु जब अधिक विधिवत् शिनाख्तकी १. यह और इसके बादका लेख दोनों एक ही भेंटकी रिपोर्ट हैं। २. देखिए " जनरल स्मट्सका भाषण ", पृष्ठ २०-२१। १३. परवाना अधिकारी।