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पत्र: ए० कार्टराइटको

लम्बा पत्र-व्यवहार करना पड़ता था। यह कार्य सर्वथा मेरे क्षेत्रमें आता है; और मैंने किसी भी अन्य न्यायवादीकी तरह काम किया है। चू़ँकि मैं ब्रिटिश भारतीय संघके मन्त्रीका कार्यभार भी सम्हाले हुए था, इसलिए मैंने श्री चैमनेको सूचना दी कि यदि कोई भारतीय व्यक्तिगत रूपसे मेरे पास आते हैं और चाहते हैं कि मैं उनके दावोंको आपके पास पेश करूँ तो मैं उनसे २ गिनी मेहनताना लेता हूँ, और उनसे निवेदन किया कि वे यह सूचना जनरल स्मट्सको भी दे दें। आप देखेंगे कि यह उनके इस वक्तव्य से...[१]कि मैंने प्रत्येक मुसलमान से स्वेच्छया पंजीयन प्रमाणपत्रपर २ पौंड लिये हैं, बिलकुल भिन्न है...[२]प्रार्थनापत्र सम्बन्धी प्रश्न, अनाक्रामक प्रतिरोध एक तमाशा सिद्ध हो जाये, [ मूलवत् ] किन्तु मैं तो अपने बारेमें ही बोल सकता हूँ, और कह सकता हूँ कि यदि मैं उदार शिक्षा प्राप्त एक बैरिस्टर होते हुए यह कहूँ कि भारतीय होनेके कारण मेरे साथी बैरिस्टरोंको ट्रान्सवाल या अन्य उपनिवेशमें प्रवेश नहीं करना चाहिए तो मैं जरूर इस योग्य हो जाऊँगा कि जनरल स्मट्स तथा मेरे सारे यूरोपीय मित्र भी मेरी तीव्रतम भर्त्सना करें। जनरल स्मट्स शैक्षणिक परीक्षाको चाहे जितना कठिन रखें। जहाँतक मेरा सम्बन्ध है मैं आज श्री सोराबजीको बाहर भेजने और उनसे उस जाँचको स्वीकार करानेका जिम्मा लेता हूँ, जिसके बाद पेशेवर लोगोंको प्रवेश की अनुमति मिल सकती हो। किन्तु जातीय परीक्षाको मैं कभी स्वीकार नहीं कर सकता। मेरे देशवासी ट्रान्सवालमें क्या करेंगे, इसका पता कल या आगे चलकर लग जायेगा। आज ४.३० बजे तक स्थिति ऐसी है। मैंने इस प्रश्नपर प्रमुखतम एशियाइयोंके साथ चर्चा करनेके सिवा और कुछ नहीं किया है। मैं इस आशाके साथ यह पत्र समाप्त कर रहा हूँ कि जनरल स्मट्स इस मामलेको अड़ंगा न बनाकर पर्याप्त राजनयिकताका परिचय देंगे। एकताके सूत्रमें गुँथा दक्षिण आफ्रिका एक सुन्दर स्वप्न है; किन्तु मेरे विचारमें भारतके बिना...[३]साम्राज्य हेय वस्तु है। यदि किसी भी मूल्यपर दक्षिण आफ्रिकासे भारतीयोंको निकाल बाहर करनेकी नीति जारी रही तो इसका परिणाम केवल दुःखद होगा।

मैं आपसे इस पत्रको ध्यानपूर्वक पढ़नेकी प्रार्थना करता हूँ। यदि मेरी कोई भी बात अस्पष्ट हो तो कृपया मुझसे उसे स्पष्ट करनेके लिए कहें। यदि आप मेरी उपस्थिति आवश्यक समझें तो मुझे तार दें। मुझे विश्वास है कि आप और श्री हॉस्केन इस कठिन प्रश्नका सन्तोषजनक हल निकाल सकते हैं।

यदि मैं अपने आशयको बिलकुल स्पष्ट [कर] सका होऊँ तो मुझे अपने इस लम्बे [पत्र] के लिए क्षमा याचना करनेकी आवश्यकता नहीं है।

आपका सच्चा,

श्री ए० कार्टराइट
प्रिटोरिया क्लब
प्रिटोरिया

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४८४२) से।

 
  1. यहाँ एक शब्द लुप्त है।
  2. यहाँ दो पंक्तियाँ लुप्त हैं।
  3. यहाँ कुछ शब्द लुप्त है।