पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/४०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



२२२. सोराबजी शापुरजीका मुकदमा--३

[ जोहानिसबर्ग,
जुलाई २०, १९०८ ]

गत सोमवार २० जुलाईको 'बी' अदालतमें श्री एच० एच० जॉर्डनके समक्ष श्री सोराबजी शापुरजी पेश हुए। न्यायाधीशने उन्हें शान्ति-रक्षा अध्यादेशकी धारा ७ के अन्तर्गत १० जुलाईसे सात दिनके अन्दर उपनिवेश छोड़कर चले जानेका हुक्म दिया था। इसे उन्होंने नहीं माना। यही उनपर अभियोग था। श्री कैमर अभियोग पक्षके और श्री गांधी बचाव पक्षके वकील थे। अभियुक्तने अपनेको निर्दोष बताया।

सुपरिटेंडेंट जे० जी० वरनॉनने कहा कि उन्होंने अभियुक्तको इसी २० तारीखको ७ बजे प्रातः मलायी बस्तीमें गिरफ्तार किया। उन्होंने १० जुलाईको अदालत द्वारा सात दिनके भीतर उपनिवेशसे चले जानेकी चेतावनी दी जानेके बाद पंजीयन प्रमाणपत्र या उपनिवेशमें रहनेका अधिकारपत्र प्रस्तुत नहीं किया। अभियुक्तने उत्तर दिया कि वे जाना नहीं चाहते। गवाहने 'गज़ट' की कुछ प्रतियाँ दीं, जिनमें एशियाई कानून संशोधन विधेयक, उसके अन्तर्गत बनाये गये विनियम और उसको लागू करनेकी सूचना दी गई थी।

जिरहमें [ श्री वरनॉनने कहा : ] श्री गांधीने पुलिसके डिप्टी कमिश्नरको एक पत्र भेजा है। उसमें कहा गया है कि अभियुक्त जिस समय आवश्यक हो, उस समय अदालतमें हाजिर होनेके लिए तैयार है। तब वह क्यों गिरफ्तार किया गया, यह पूछनेपर उन्होंने कहा कि वे अपने वरिष्ठ अधिकारियोंके अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्तिका आदेश नहीं मानते। उन्हें अभियुक्तको गिरफ्तार करनेकी आज्ञा दी गई थी और उन्होंने उस दिन प्रातः ७ बजे उसे गिरफ्तार करनेमें अपने सदसद्विवेकका उपयोग किया है, क्योंकि वह समय उनके लिए अत्यन्त सुविधाजनक था। तबसे अभियुक्तको पुलिसकी हिरासतमें रखा गया है। यहाँ अभियोग पक्षकी कार्रवाई समाप्त हो गई।

अभियुक्तने अपनी ओरसे गवाही देते हुए कहा कि उपनिवेशसे जानेकी सूचना मिलनेके बाद वह उपनिवेशमें रहा और उसने सुपरिटेंडेंट वरनॉनसे कहा कि वह जाना नहीं चाहता। अब उपनिवेशसे जानेकी उसकी इच्छा नहीं है और वह अदालतकी आज्ञा न माननेकी सजा भुगतने के लिए आया है। वह ब्रिटिश प्रजाजन है और जबतक ब्रिटिश साम्राज्यके प्रजाजनके नाते वह अपनी पूरी जिम्मेदारी वहन कर रहा है तबतक उसे ट्रान्सवालमें रहनेका हर तरहसे अधिकार है।

जिरहमें [ उसने कहा कि ] उसने अदालतकी आज्ञा नहीं मानी है और वह निरन्तर उसका उल्लंघन करना चाहता है।

इसके साथ बचाव पक्षकी कार्रवाई समाप्त हो गई।