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२२४. तार: दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिको

जोहानिसबर्ग,
जुलाई २०, १९०८

[ आफ्रिकालिया
लन्दन ]

उपनिवेश छोड़नेकी आज्ञाके उल्लंघनपर सोराबजी शापुरजीको एक माह सख्त सजा। शैक्षणिक योग्यतासे सम्पन्न होनेके कारण प्रवासी अधिनियम के अनुसार आये थे। अभियोग एशियाई अधिनियमके अन्तर्गत पंजीयन न करानेका। स्वेच्छया पंजीयनके लिए राजी थे। समाजके मतसे कार्यवाही कठोर, प्रतिक्रियावादी। फेरीवाले बिना परवाना व्यापार करते गिरफ्तार। परवाने मिले नहीं क्योंकि एशियाई अधिनियम स्वीकार नहीं किया। विरोध-प्रदर्शनार्थ संघके अध्यक्ष अन्य प्रमुख भारतीय बिना परवाना फेरी लगा रहे हैं। समाज द्वारा केवल युद्ध-पूर्वके शरणार्थियोंका संरक्षण और उच्चतम शैक्षणिक योग्यताओंको मान्यता देनेकी माँग। सरकार कहती है कानूनके रद किये जानेके बदले हमें ये माँगें छोड़नी चाहिए। भारतीय शिकायतें दूर न होने तक हानि सहनेको कृत-संकल्प।

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: २९१/१३२।

२२५. पत्र: ए० कार्टराइटको

[ जोहानिसबर्ग ]
जुलाई २०, १९०८

प्रिय श्री कार्टराइट,

यह पत्र सिर्फ आपको यह जतानेके लिए लिखा जा रहा है कि अब मुकदमे शुरू हो गये हैं। श्री सोराबजीको वस्तुतः एशियाई अधिनियम स्वीकार न करनेके कारण १ मासके कठोर कारावासका दण्ड दिया गया है। बिना परवानेके फेरी लगानेके अपराधमें बहुतसे फेरीवाले गिरफ्तार कर लिये गये हैं। जहाँतक मुझे मालूम है, वे जेल जाना ही पसन्द करेंगे।

मुझे आशा है कि मैं पत्र लिखकर आपको जो कष्ट दिया करता हूँ उससे आप नाराज नहीं होंगे।

आपका हृदयसे,

श्री अल्बर्ट कार्टराइट
प्रिटोरिया क्लब,
प्रिटोरिया

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४८४६) से।