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२२६. इब्राहीम इस्माइल और सुलेमान बगसका मुकदमा[१]

[ जोहानिसबर्ग,
जुलाई २०, १९०८ ]

पिछले सोमवारको इब्राहीम इस्माइल और सुलेमान बगसको बगैर परवानेके फेरी लगानेके अपराधमें जोहानिसबर्गकी 'डी' अदालतमें श्री पी० सी० डालमाहॉयके समक्ष पेश किया गया। श्री शॉ सरकारकी तरफसे और श्री गांधी अभियुक्तोंकी तरफसे पैरवी कर रहे थे।

पहला अभियुक्त हाजिर नहीं था; इसलिए उसकी जमानत रद कर दी गई, यद्यपि श्री गांधीने अदालतसे तारीख बढ़ानेके लिए विनती की थी ताकि अभियुक्त दूसरे दिन हाजिर हो सके।

सुलेमान बगसने कहा कि वह निरपराध है। पुलिसने इस आशयका सबूत पेश किया कि गत १८ जुलाईको दिनमें तीन बजे अभियुक्त विलेज मेन रीफवाली जगहपर बेचनेके लिए फल लेकर बैठा था। उसके आसपास बहुतसे वतनी थे। अभियुक्त टोकरीमें से फल बेच रहा था। गवाहने अभियुक्तको केले और सन्तरे बेचते देखा। वह अभियुक्तको २५ मिनट तक देखता रहा। उसने अभियुक्तसे अपना परवाना दिखानेके लिए कहा। अभियुक्तने परवाना निकाल कर दिखाया; परन्तु उसकी मीयाद ३० जूनको समाप्त हो चुकी थी। उसके पास चालू तिमाहीका कोई परवाना नहीं था। अभियुक्त नगरपालिकाकी सीमामें फेरी लगा रहा था।

जिरहमें गवाहने कहा कि उसे ऐसे तमाम लोगोंको गिरफ्तार करनेकी आज्ञा दी गई है। वह यह नहीं जानता कि अभियुक्तने परवानेके लिए दरखास्त दी है या नहीं।

सरकारकी तरफसे कार्रवाई यहीं समाप्त हो गई।

अभियुक्तने अपनी तरफका सबूत पेश करते हुए बताया कि उसने अपने परवानेको नया करनेके लिए दरखास्त दे रखी है; परन्तु उससे पंजीयन अधिनियमके अन्तर्गत अँगूठेकी छाप माँगी गई थी। और चूँकि उसने छाप देनेसे इनकार कर दिया, इसलिए उसे परवाना नहीं मिल सका है।

इसके बाद श्री गांधीने कहा कि मैं सबूत देना चाहता हूँ। यह राजनीतिक बात नहीं, बल्कि अदालतमें पेश मामलेसे पूर्णतया सम्बन्ध रखती है। मेरे मुवक्किलको परवाना इसलिए नहीं दिया गया है कि नगरपालिकाको परवानोंके लिए दरखास्त देनेवाले एशियाइयोंसे एशियाई कानून संशोधन विधेयकके अनुसार सारी विधियोंकी पूर्ति करानेके निर्देश दिये गये हैं। गत जनवरीमें सरकार और एशियाई जातियोंके बीच यह समझौता हुआ था कि जो लोग स्वेच्छया अपना पंजीयन करा लेंगे उनपर यह एशियाई कानून लागू नहीं होगा। मेरे मुवक्किलने स्वेच्छापूर्वक अपना नाम दर्ज करा लिया है। और चूँकि अब ब्रिटिश भारतीय संघके प्रस्तावके अनुसार उसे एशियाई कानूनको स्वीकार करनेके लिए कहा गया है, इसलिए

 
  1. यह इंडियन ओपिनियनमें "फेरीवाले गिरफ्तार: वे जेल गये" शीर्षकसे छपा था।