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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बात नहीं है। जनरल स्मट्स यह चाहते हैं कि ब्रिटिश भारतीय उस अधिकारको रद करना स्वीकार कर लें। उनकी इस बातका विरोध करना भारतीयोंका पवित्र कर्तव्य है।

आपका, आदि,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १-८-१९०८

२३६. पत्र: जेल-निदेशकको[१]

[ जोहानिसबर्ग ]
जुलाई २४, १९०८

[ जेल-निदेशक
प्रिटोरिया
महोदय, ]

आठ ब्रिटिश भारतीय कैदी, जिन्हें बिना परवानाके फेरी लगानेके कारण कैदकी सजा हुई थी, आज रिहा किये गये। उन्होंने हमारे संघको बताया कि जोहानिसबर्ग कारागारमें सुबहके खानेमें उन्हें मकईका दलिया दिया जाता था जिसे वे बिलकुल नहीं खाते थे; क्योंकि उसे खानेकी उन्हें कभी भी आदत नहीं थी। फलस्वरूप उन्हें दोपहरको सिर्फ चावल तथा शामको सेमसे, यदि वह मिले तो, सन्तोष करना पड़ता था। इन लोगोंको सख्त कैदकी सजा हुई थी।

मेरा संघ सविनय आपका ध्यान इस तथ्यकी ओर आकर्षित करता है कि समग्रतः ब्रिटिश भारतीय मकईके दलियाके बिलकुल आदी नहीं हैं; और एकाएक उस भोजनको अपना-लेना उनके लिए बहुत ही कठिन है। एशियाई संघर्षके सम्बन्धमें और भी बहुत-से भारतीय कैद भोग रहे हैं। उनका ध्यान रखते हुए मेरे संघकी आपसे यह माँग समुचित ही है कि ब्रिटिश भारतीयोंकी खुराक बदल दी जाये। मेरा संघ किसी अनुग्रहकी माँग नहीं करता, वरन् बदलेमें केवल ऐसी खूराककी माँग करता है, जो ब्रिटिश भारतीयोंकी आदतके अनुकूल हो। यह विषय बहुत महत्त्वका है, इसलिए यदि आप इसपर तुरन्त ध्यान देनेकी कृपा करें तो मेरा संघ आभारी होगा।

[ ईसप मियाँ
अध्यक्ष,
ब्रिटिश भारतीय संघ ]

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १-८-१९०८

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स, २९१/१३२ से भी।

 
  1. अनुमानतः इसका मसविदा गांधीजीने तैयार किया था।