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२३८. नेटालमें भारतीय व्यापारी

रिचमंडवाले श्री हाफिजीके मामलेमें हम जो-कुछ पहले लिख चुके हैं वैसा ही हुआ है।[१] परवाने देनेवाली अदालतने गोरोंकी बात सुनकर श्री हाफिजीका परवाना रद कर दिया है। नेटालके अथवा अन्य किसी उपनिवेशके भारतीयोंके सामने एक ही रास्ता है। वह है सत्याग्रही बन जाना। जबतक ऐसा न किया जाये तबतक नेटालके भारतीयोंको चैनसे नहीं बैठना है।

नेटालकी संसदमें हाल हीमें होनेवाले वाद-विवादमें जिन सदस्योंने भाग लिया था, उनमेंसे अधिकतरने यह कहा कि भारतीय व्यापारियोंको निकाल बाहर करना चाहिए। श्री वाइलीने[२] भी इसी आशयकी बातें कही थीं। ऐसी संसदको आवेदनपत्र भेजना सौजन्यके रूपमें उचित ही माना जायेगा। परन्तु इस आवेदनपत्रको सत्याग्रह संघर्षका पहला कदम माना जाना चाहिए। वह कारगर तभी होगा जब उसके पीछे सत्याग्रह-रूपी तोप मौजूद हो।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २५-७-१९०८

२३९. पत्र: जे० जे० डोकको[३]

[ जोहानिसबर्ग ]

प्रिय श्री डोक,

आपने मुझसे जो प्रश्न किये हैं, वे बहुत ही उपयुक्त और उचित हैं। यदि जनताको एशियाई प्रश्नके विषयमें पर्याप्त दिलचस्पी लेकर यह समझनेके लिए प्रेरित किया जा सके कि हम क्या चाहते हैं तो, इतने भरसे आधी कठिनाई हल हो जायेगी।

ब्रिटिश भारतीयोंके दृष्टिकोणसे कहें, तो ब्रिटिश भारतीयोंने बहुत पहले यह परिस्थिति स्वीकार कर ली है कि एशियाई प्रवासपर कठोर नियन्त्रण होना चाहिए; किन्तु यदि उप-

 
  1. देखिए, "नेटालमें परवाने", पृष्ठ ८४-८५ और "नेटालका परवाना कानून", पृष्ठ २८७।
  2. श्री वाइली, के० सी०; न्यायवादी और विधानसभाके सदस्य। वे व्यापारिक परवाना अधिनियमके आंशिक रचयिता थे; उन्होंने नेटालके जूलू उपद्रवका दमन करनेमें प्रमुख भाग लिया था। श्री गोगाके प्रमुख वकीलकी हैसियतसे उन्होंने उनकी ओरसे पैरवी करते हुए मुकदमेके दौरानमें अदालतसे कहा था कि "एक भारतीयको भी न्याय और समान व्यवहार पानेका अधिकार है।"
  3. ३. पादरी जोज़ेफ डोकने अपने पत्रमें गांधीजीसे तीन प्रश्न पूछे थे:(१) अधिकतर उपनिवेशियोंको डर है कि एशियाइयोंपर प्रवासी-प्रतिबन्धक अधिनियम लागू हो जानेपर भी अनेक शिक्षित व्यक्ति उपनिवेशमें प्रवेश पा जायेंगे। क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे आप इस आपत्तिका निवारण कर सकें? (२) क्या यह सच है कि आपकी मुख्य आपत्ति यह है...कि एशियाई अधिनियम संशोधन विधेयकको रद करनेसे पहले 'दरवाजा बन्द कर देनेकी नीतिपर आपकी सम्मतिका आग्रह करके [ जनरल स्मट्स ] यह चाहते हैं कि आप अपने सभी शिक्षित भाइयोंके आनेपर प्रतिबन्ध लगानेके हामी हो जायें? (३)"... क्या सरकारके लिए यह आसान न होगा कि वह...दरवाजेको पूरी तरह बन्द करनेके लिए कानून पेश करे? यदि ऐसा हो तो एशियाई क्या कार्रवाई करेंगे?"