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पत्र: ए० कार्टराइटको

शायद, ज्यादा लम्बी सजा हो सकती है, इसलिए हम लोगोंको उचित है कि साहस बनाये रहें। वेरीनिगिंगमें सभी व्यापारियोंने फेरी लगाना शुरू कर दिया है। उन्हें सरकारने लिखित रूपमें सूचित किया है कि यदि वे परवानोंके बिना फेरी लगायेंगे तो उन्हें गिरफ्तार किया जायेगा। हम लोगोंपर आनेवाले दुःखोंके निवारणका एकमात्र रास्ता जेल ही है। इसलिए हमें अपनी नजरोंके सामने सदा जेल ही रखना है। सरकार स्वेच्छया पंजीयन करानेवालोंपर कानून लागू न करके औरोंपर करना चाहती है---यह बात भी एक प्रकारका लालच प्रस्तुत कर रही है। भारतीय समाजको यह समझना चाहिए कि अब सरकार उसके भी दो वर्ग कर रही है। यह कितनी अनुचित बात है। मैं प्रत्येक भारतीयको सलाह दूँगा कि अगर एशियाई कानून बरकरार रह जाये, तो वह मरते दम तक संघर्ष करता रहे। अभीतक लोगोंसे परवाने और पंजीयन प्रमाणपत्र पर्याप्त संख्यामें प्राप्त नहीं हो पाये हैं। इसलिए इन सबका आ जाना जरूरी है। मैं यह सुझाव भी दूँगा कि फोक्सरस्टमें अँगूठोंके निशान न दिये जायें। अब हम तो जेलसे लौटकर आनेवालोंका सम्मान हुआ तभी मानेंगे जब हम सब भी जेल जायें।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १-८-१९०८

२४२. पत्र: ए० कार्टराइटको

[जोहानिसबर्ग
जुलाई २७, १९०८]

प्रिय श्री कार्टराइट,

श्री हॉस्केनने अत्यन्त कृपा करके मुझे वह एशियाई स्वेच्छया पंजीयन विधेयक दिखाया है, जिसे जनरल स्मट्स प्रस्तुत करना चाहते हैं। यदि मैं भारतीय समाजका स्वभाव अच्छी तरह जानता हूँ, तो मुझे यह कहनेकी आवश्यकता नहीं कि वह इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। यह स्वेच्छया पंजीयन करानेवालेको परोक्ष रूपसे उसी श्रेणीमें रखता है जिसमें अधिनियम स्वीकार कर चुकनेवाले लोग हैं। मैं आपका ध्यान इस तथ्यकी ओर आकर्षित करता हूँ कि इसमें युद्धसे पहलेके शरणार्थियोंका खयाल ही नहीं किया गया है, चाहे उनके पास ३ पौंडी डच पंजीयन प्रमाणपत्र हों या न हों। यह उन लोगों तक के दावे अस्वीकार कर देता है जिनके पास शान्ति-रक्षा अध्यादेशके अन्तर्गत अनुमतिपत्र हैं और जिन्हें इस बिनापर प्रवेशकी माँग करनेका अधिकार है; यह उन्हें एशियाई अधिनियमके अन्तर्गत पंजीयन प्रमाणपत्र लेनेपर बाध्य करता है। मेरे विचारमें यह विधेयक एशियाइयोंकी बुद्धिका मनमाना अपमान है। स्पष्ट है कि यह एशियाइयोंको ऐसे बच्चोंका समूह समझता है जिन्हें गोलियों-पर तनिक सी पत्नी लपेट देकर खुश किया जा सकता है।

मैं जानता हूँ कि प्रगतिवादी दलने इस विधेयकपर विचार करने तथा इसके बाद जनरल स्मट्ससे परामर्श करनेके लिए एक समिति नियुक्त की है। इसलिए स्पष्ट है कि तुरूपके पत्ते इस दलके पास हैं। क्या यह दल, जिसने अपनेको इस नामसे अलंकृत कर