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२४४. रामस्वामी तथा अन्य लोगोंका मुकदमा

[ जोहानिसबर्ग
जुलाई २७, १९०८ ]

कल "डी" अदालतमें श्री पी० सी० डालमाहॉयने भारतीयोंके एक अन्य जत्थेके मुकदमेका निपटारा किया। इन लोगोंपर परवानेके बिना फेरी लगाने का अभियोग था। श्री कैमरने सरकारी पक्ष, और श्री गांधीने सफाई पक्षकी ओरसे पैरवी की।

सबसे पहले रामस्वामी नामक एक भारतीयके मामलेकी सुनवाई हुई।

सरकारी पक्षकी ओरसे औपचारिक सबूत पेश किये जानेके बाद, श्री गांधीने जोहानिसबर्ग नगरपालिकाके मुख्य परवाना निरीक्षक श्री एल० एच० जेफर्सनको जिरहके लिए बुलाया।

'श्री गांधी: क्या आपको छूट प्राप्त व्यक्तियोंकी सूची मिली है?

[ जेफर्सन: ] चौदह लोगोंकी।

श्री गांधी: क्या आप उसे पेश करेंगे?

न्यायाधीश और सरकारी वकील, दोनोंने हस्तक्षेप किया और सूचीके पेश किये जानेपर आपत्ति की।

श्री कैमर: यदि अभियुक्तका नाम सूचीमें हो तो मुझे श्री गांधीकी माँगपर कोई आपत्ति नहीं है।

श्री जेफर्सन: वह सूचीमें नहीं है।

श्री गांधी: क्या इसका अर्थ यह है कि मैं यह कागज नहीं देख सकता?

न्यायाधीश [ श्री जेफर्सनसे ]: क्या इस कागजको दिखानेकी अनुमति आपको है?

[ जेफर्सन: ] जी नहीं।

श्री गांधी: किन्तु यह कागज तो सार्वजनिक होना चाहिए? क्या आपको अधिकारियोंकी ओरसे मना किया गया है?

न्यायाधीश ( बीचमें टोकते हुए ): मैं इसकी अनुमति नहीं दूँगा, श्री गांधी; यह मेरा निर्णय है।

श्री गांधी: क्या आपको अधिकारियोंने मना किया है?

न्यायाधीश: श्री गांधी, मैं अन्तिम बार कहता हूँ, मैं इसकी अनुमति नहीं दूँगा। क्या आप मेरे अधिकारको चुनौती दे रहे हैं?

श्री गांधी: मैं आपके अधिकारको अस्वीकार नहीं कर रहा हूँ; किन्तु मेरे मुवक्किल गरीब लोग हैं, और श्री जेफर्सनको अदालतमें बुलानेके अर्थ हैं कि हर बार मेरे मुवक्किलोंको १० शिलिंगकी हानि होती है।

न्यायाधीश: मैं आपकी आपत्तिको अंकित कर लूँगा।