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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

न्यायाधीशके प्रश्नके उत्तरमें गवाहने कहा कि मुझे यह सूची टाउन क्लार्कसे प्राप्त हुई थी, और टाउन क्लार्कको एशियाई पंजीयकसे मिली थी।

श्री गांधीने फिर पूछा कि क्या गवाहको अधिकारियोंने सूची देनेसे मना किया है।

गवाह: मुझसे कहा गया है कि मैं सूचीको प्रकाशित न करूँ। ये मुझे दिये गये सामान्य निर्देश हैं।

श्री गांधीने अदालतको सम्बोधित करते हुए कहा कि मेरी रायमें यह बड़ी विचित्र स्थिति है कि यहाँ एक ऐसी सूची है जिसका सम्बन्ध समूचे [ भारतीय ] समाजसे है, किन्तु उसे पेश नहीं किया जा सकता। मेरी समझमें यह बड़ी अजीब बात है कि उसे देखनेकी हमें इजाजत नहीं है। मुझे हर मुकदमेमें अपने मुवक्किलोंके खर्चपर श्री जेफर्सनको अदालतमें हाजिर होनेका आज्ञापत्र जारी कराना पड़ता है, ताकि यह निश्चित किया जा सके कि मेरे मुवक्किलोंका नाम उस कागजमें है या नहीं। मैं समझना चाहता हूँ कि अदालतको यह तय करनेका अधिकार है अथवा नहीं कि श्री जेफर्सन उस कागजको पेश करें।

न्यायाधीश ( अभियुक्तसे ): आपको पर्याप्त चेतावनी दे दी गई थी कि आप परवाना ले लें, और इसके बावजूद आपने वैसा नहीं किया। आपको १ पौंड जुर्माना या सात दिनकी सख्त कैदकी सजा दी जाती है।

अन्य मामले

इसके बाद एक अन्य भारतीय फेरीवालेपर उसी प्रकारका अभियोग लगाया गया। श्री गांधीने श्री जेफर्सनको फिर जिरहके लिए बुलाया, और एक बार फिर उन्होंने इस बातका विफल प्रयास किया कि सूची पेश की जाये। उन्होंने न्यायाधीशसे कहा कि सूची पेश करने सम्बन्धी उनके अनुरोधको अदालत अंकित कर ले।

अभियुक्तको १ पौंड जुर्माने या सात दिनकी सख्त कैदकी सजा सुनाई गई।

इसके बाद एक तीसरे फेरीवालेको कठघरेमें खड़ा किया गया और श्री गांधीने श्री जेफर्सनको फिर जिरहके लिए बुलाया।

श्री गांधीने कहा कि मैं अदालतके प्रति असम्मानपूर्ण बात नहीं कहना चाहता, किन्तु प्रत्येक मामलेमें श्री जेफर्सनको बुलाना मेरे मुवक्किलोंके लिए बहुत गम्भीर महत्त्व और व्ययकी बात है।

सरकारी वकीलने सुझाव दिया कि श्री जेफर्सनको सरकारी पक्ष बुलवाये।

श्री गांधीने कहा, चाहे सरकारी पक्ष ही श्री जेफर्सनको बुलवाये, मेरे मुवक्किलोंके प्रति अनुचित ही होगा; क्योंकि एशियाइयोंके नामोंमें अक्सर गड़बड़ी हो जाती है। मैं इस तथ्यका भी उल्लेख करना चाहता हूँ कि दण्डमें बढ़ौती कर दी गई है हालाँकि ये मामले सभी दृष्टिसे पहलेवाले मामलों जैसे ही हैं।

न्यायाधीशने १ पौंड जुर्माने या सात दिनकी सख्त कैदकी सजा दी।

हर मामलेमें अभियुक्तोंने जेल जाना स्वीकार किया।

[ अंग्रेजीसे ]
ट्रान्सवाल लीडर, २८-७-१९०८