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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

कराया। बधाईके भाषण भी हुए। इमाम साहब तथा जेलसे लौटे हुए अन्य लोगोंने जवाबमें कहा कि चार दिनकी कैद कोई चीज नहीं थी। दूसरी बार वे सब लम्बी अवधिके लिए जेल जानेको तैयार हैं।

रविवारको अधिक सम्मान

जेलसे लौटे हुए लोगोंके स्वागतमें रविवारको हमीदिया मस्जिदके सामने एक बड़ी सार्वजनिक सभा हुई। उसमें उनका और सम्मान किया गया, तथा बहुत-से भाषण[१] हुए और अनेक लोगोंने अपने पंजीयन प्रमाणपत्र संघको सौंप दिये। सबने भरपूर उत्साह प्रकट किया।

इसके बाद, कुछ हिन्दुओंने मिलकर जलपान और गायनका आयोजन किया; जेलसे छूटे हुए लोग तथा निमन्त्रित सज्जन उसमें गये। लगभग ५० व्यक्तियोंके लिए मेजें लगाई गई थी। उनमें चीनी संघके अध्यक्ष भी थे। श्री ईसप मियाँने प्रमुख स्थान ग्रहण किया। उनकी एक ओर इमाम साहब और दूसरी ओर श्री क्विन थे। श्री ईसप मियाँने भाषण करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनोंसे हिन्दू-मुसलमानोंके बीच भाईचारा बढ़ता है। जलपानमें तरह-तरहके हरे मेवे, केक, मेसुल, जेली, चिवड़ा और चाय आदि पदार्थ परोसे गये थे।

गुरुवारी सार्वजनिक सभा

अब सार्वजनिक सभाओंका पार नहीं है। इमाम साहब बुधवारको जेल गये और गुरुवारको सार्वजनिक सभा हुई।[२] समस्त दक्षिण आफ्रिकामें सब भारतीय दूकानें तथा व्यापार बन्द रखने के लिए तार किये गये। सब जगहोंसे तार आये कि दूकानें बन्द रहेंगी।

हीडेलबर्गसे खबर मिली है कि वहाँ श्री खोटा, श्री जीन तथा श्री अबूमियाँ कमरुद्दीनने, मिडेलबर्गमें श्री अबा वरींदे और क्रूगर्सडॉर्पमें बहुतेरे भारतीय व्यापारियोंने संघकी बात नहीं मानी। किन्तु ठेठ रोडेशियासे सैलिसबरी तकमें इमाम साहबके सम्मानमें दुकानें बन्द रहीं।

यह सम्मान श्री बावजीरका नहीं था, उनके पदका था। हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके प्रमुख और मस्जिदके [पेश] इमामका एक घंटे को भी अपने हकके लिए जेल जाना बहुत बड़ी बात कही जायेगी। जिन्होंने खूनी कानून स्वीकार किया है, उनमें से भी बहुत-से लोगोंने दूकानें बन्द रखी थी। इससे समाजका पारस्परिक स्नेह प्रकट होता है।

उसी दिन एक बड़ी सार्वजनिक सभा हुई। उसमें जोशीले भाषण हुए।

पुलिसका अत्याचार

जिस दिन सोराबजीको जेल हुई, उस दिन पुलिसने अत्याचार किया था। वह मामला अभी चल ही रहा था कि वरनॉन साहबने तमिल लोगोंको गालियाँ दी और धमकाया। इसकी सार्वजनिक सभामें[३] खूब आलोचना की गई। यदि भारतीय हिम्मत बाँधे रहें, तो यह स्पष्ट है कि पुलिसका जुल्म टिक नहीं सकता।

 
  1. गांधीजीके भाषणके लिए देखिए "भाषण: जोहानिसबर्गकी सार्वजनिक सभामें", पृष्ठ ३९६-९७।
  2. यह सार्वजनिक सभा जुलाई २३, १९०८ को हुई। देखिए, "भाषण: सार्वजनिक सभामें", पृष्ठ ३८६-९०।
  3. देखिए "भाषण: सार्वजनिक सभामें", पृष्ठ ३८८।