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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

शनिवारको श्री रामस्वामी, श्री अली मियाँ, श्री गोर मियाँ तथा कानजी मोरार पकड़े गये थे। इन सबको सात-सात दिनकी कैदकी सजा मिली है।[१] न्यायाधीशने कुछ द्वेष-भाव भी प्रकट किया। इससे लोग हारे नहीं; बल्कि और उत्साहित हुए हैं।

ये १४ लोग कौन हैं?

पहलेके एक मामलेके[२] समय परवाना निरीक्षकने अपने बयानमें कहा था कि उन्हें १४ व्यक्तियोंसे अँगूठेकी छाप न लेने का निर्देश है। श्री गांधीने उसी समय बताया था कि उन्हें ऐसे एक व्यक्तिकी भी खबर नहीं है; और उन लोगोंको जेल भेजते हुए सरकारको डरना नहीं चाहिए, बल्कि सबको जेल भेजना ही चाहिए। ये १४ व्यक्ति कौन हैं, यह खोजनेके लिए श्री जेफर्सनके नाम गवाहीका सम्मन्स निकाला गया था, किन्तु मजिस्ट्रेटने, जो भरमाया हुआ था, तुरन्त कहा कि वह पत्र बताने की जरूरत नहीं है।[३] इसपर मजिस्ट्रेट तथा श्री गांधीके बीचमें कुछ गर्मागर्मी हो गई और अन्तमें प्रत्येक मामलेके समय श्री जेफर्सनको बुलाना निश्चित हुआ। श्री जेफर्सनसे पूछा जाता है कि उनकी सूचीमें प्रतिवादियोंमें से कोई है अथवा नहीं। इस प्रकार मामला जमता जा रहा है।

नई गिरफ्तारियाँ

सोमवारको बहुत-से भारतीय, पकड़े जानेकी आशासे, टोकरियाँ लेकर निकल पड़े थे। उनमें से बहुतकी आशा व्यर्थ हुई। किसीने उन्हें नहीं पकड़ा। चीनी [ संघ ] के अध्यक्ष तथा अन्य कुछ चीनी भी निकले थे। उन्हें किसीने नहीं पकड़ा।

श्री थम्बी नायडू आज शनिवारको ही निकले। वे बादमें पकड़ लिये गये। एक जगह नहीं पकड़ा, तो वे दूसरी जगह गये। अन्तमें २ मीलकी दूरीपर गिरफ्तार हो गये। गिरफ्तार लोगोंमें वे स्वयं, चार्ली सिंगली, वीरासामी नायडू, कुरुमुतु पिल्ले तथा हरिलाल गांधी हैं। इन सबने जमानतपर छूटने से इनकार कर दिया है।

जेलके हालचाल

इमाम साहब इत्यादिने जेलके जो हालचाल सुनाये वे जानने योग्य हैं। सबको पहननेके लिए चप्पल तथा गर्म मोजे मिलते। दो ऊनी और दो सूती कुर्ते मिलते हैं। रातको ओढ़नेके लिए तीन कम्बल तथा [ सोनेके लिए ] लकड़ीका तख्त मिलता है। इसपर गोने अर्थात् बोरे बिछे होते हैं; इससे ठण्ड बिलकुल नहीं लगती। खानेके लिए दोपहरको चावल, साँझको सेम और आलू और हफ्तेमें तीन बार पुपु। सवेरे सदा पुपु दी जाती है। भारतीय पुपु पसन्द नहीं करते इसलिए जेलके वरिष्ठ अधिकारियोंको पत्र[४] लिखे गये हैं और आशा की जा सकती है कि कुछ ही दिनोंमें खुराकका प्रबन्ध ठीक हो जायेगा। जेलमें जाते ही जूते, मोजे नहीं मिलते; इसलिए कुछ घंटों तक सर्दीमें पाँव खुले रखना पड़ा था और इस कारण

 
  1. देखिए "रामस्वामी तथा अन्य लोगोंका मुकदमा", पृष्ठ ३९९-४००।
  2. देखिए "बावजीर, नायडू तथा अन्य लोगोंका मुकदमा", पृष्ठ ३८०-८२।
  3. ऐसा एक दूसरे मुकदमेमें हुआ था। देखिए "रामस्वामी तथा अन्य लोगोंका मुकदमा", पृष्ठ ३९९-४००।
  4. देखिए "पत्र: जेल-निदेशकको", पृष्ठ ३९२।