पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/४४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४०७
जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

शिक्षा प्राप्त की है; वे सब एकदम ट्रान्सवालमें दाखिल हो जायें। यदि इस तरह सौ-पचास आदमी दाखिल हों, तो सरकारको उन्हें जेल भेजना ही पड़ेगा और हम जानते हैं कि इतने लोगोंको जेल भेजना कठिन है। उपर्युक्त उपाय उस समय ही काममें लाना चाहिए जब सरकारका इरादा निश्चित रूपसे मालूम हो जाये। इस बीच शिक्षित और अन्य भारतीयोंको खामोश बैठे रहना चाहिए।

इसी क्षणसे कोई भी भारतीय ट्रान्सवालमें दाखिल होते समय अँगूठेकी छाप न दे, बल्कि साफ इनकार कर दे। हममें इतनी हिम्मत होनी चाहिए कि हम कानूनको टूटा हुआ ही समझें।

ऊपर जिन नामोंका उल्लेख है, उनमें श्री अली मियाँ तथा श्री कानजी मोरारके पास परवाने थे; फिर भी उन्होंने परवाने नहीं दिखाये और जेल गये। यह सच्चा साहस कहलायेगा।

मंगलवार [ जुलाई २८, १९०८ ]

और भी मुकदमे

श्री थम्बी नायडू इत्यादिके नाम ऊपर ले ही चुका हूँ। उनके बाद श्री हीरा मावजी नामक व्यक्ति भी गिरफ्तार हो गये हैं। आज इन सबपर मुकदमा चला।[१] श्री गांधीने स्वयं इन सबके लिए अधिकसे-अधिक जेलकी सजा माँगी। किन्तु न्यायाधीशने श्री थम्बी नायडूके सिवा शेष सभीको केवल ७ दिनकी कड़ी कैदकी सजा दी। श्री नायडू पिछले हफ्ते ही अपराध करनेके कारण जेल भोगकर आये हैं, इसलिए उन्हें १४ दिनकी सजा दी गई।

थम्बी नायडू

श्री थम्बी नायडूकी बहादुरीकी बराबरी बहुत थोड़े ही भारतीय कर सकते हैं। वे रोज कमाकर खाते हैं, ऐसी गरीबीकी हालतमें हैं। उनकी पत्नीको आजकलमें ही बच्चा होनेवाला है। वे इन सब बातोंकी परवाह न करते हुए जैसे ही जेलसे निकले, वैसे ही फिर वहाँ पहुँच गये हैं। उनका जेलके भीतरका व्यवहार भी इतना अच्छा है कि उससे सारे अधिकारी खुश हो गये हैं। किन्तु वे किसीकी खुशामद नहीं करते। धरना देनेवालोंमें प्रमुखकी हैसियतसे उन्होंने जो काम किया, वह भी बहुत सावधानीसे किया। कामना करता हूँ कि भारतीय समाजमें ऐसे बहुत-से व्यक्ति पैदा हों।

रूडीपूर्ट

रूडीपूर्टमें श्री फकीर रूपा गिरफ्तार हुए हैं। उनका मुकदमा कल (बुधवारको) होगा। श्री पोलक उन्हें जेल पहुँचाने जायेंगे।

जाली अनुमतिपत्र

प्रिटोरियामें एक स्मूलियन नामक यहूदीपर जाली अनुमतिपत्र छापनेके बारेमें मुकदमा चल रहा है। यह जयमलके मुकदमे से मिलता-जुलता है।

यहाँ डाह्या लालाके ऊपर मुकदमा[२] चल रहा है और पुलिसका कहना है कि वह झूठे पंजीयनपत्रके बलपर दाखिल हुए हैं। उनके पास इस बातका प्रमाण है कि पंजीयनपत्र १४

 
  1. देखिए "हरिलाल गांधी तथा अन्य लोगोंका मुकदमा", पृष्ठ ४०१-०२।
  2. देखिए "डाह्या लालाका मुकदमा", पृष्ठ ४०९-११।