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२५२. पत्र: एच० एल० पॉलको

जोहानिसबर्ग,
अगस्त ४, १९०८

प्रिय श्री पॉल,

आपका गत ३० तारीखका पत्र मिला। मैंने जोज़फको २० पौंड[१] भेजे हैं। और अधिक जमा करना या और भेजना मेरे लिए सम्भव नहीं है। अब एक-एक पैसेकी संघर्ष के लिए आवश्यकता है।

सबके प्रति आदर सहित,

आपका हृदयसे,
मो० क० गांधी

टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रति (सी० डब्ल्यू० ४५४९) से। सौजन्य: ई० जे० पॉल।

२५३. मूलजीभाई जी० पटेलका मुकदमा--१

[ मंगलवार, अगस्त ४, १९०८ ]

सोमवारको तीसरे पहर श्री मूलजीभाई गिरधरलाल पटेल, जो ब्रिटिश भारतीय संघकी समितिके सदस्य हैं, ट्रान्सवालमें पंजीयन प्रमाणपत्रके बगैर होनेके कारण गिरफ्तार किये गये। उनसे १० पौंडकी जमानत माँगी गई, परन्तु जमानतपर छूटना उन्होंने अस्वीकार कर दिया और उन्हें हवालातमें रात-भर बन्द रखा गया।...

मंगलवारको तीसरे पहर वे अदालत "बी" में श्री एच० एच० जॉर्डनके सामने लाये गये और उनपर १९०७ के अधिनियम २ के खण्ड ८, उपखण्ड ३ के अन्तर्गत मुकदमा चलाया गया। उन्होंने अपराध स्वीकार किया। श्री गांधीने उनकी पैरवी की और श्री कैमरने अभियोग लगाया।

ट्रान्सवालके पुलिस अधीक्षक वरनॉनने बयान दिया कि उनकी नियुक्ति पंजीयन अधिनियमके अन्तर्गत एशियाइयोंसे उनके पंजीयन प्रमाणपत्र माँगनेके लिए निरीक्षकके पदपर हुई है। अभियुक्तने उनसे अपने बयानमें कहा था कि उसके पास कोई प्रमाणपत्र नहीं है, उसके संघने उससे पंजीयन न करानेके लिए कहा था, उसने इस अधिनियमके अन्तर्गत पंजीयन करानेसे इनकार किया था और आगे भी ऐसा ही करता रहेगा। उसने शान्ति-रक्षा अध्यादेशका एक अनुमतिपत्र और एक पंजीयन प्रमाणपत्र, जो उसने लॉर्ड मिलनरकी सलाहसे[२] लिया था, दिखाया।

 
  1. देखिए "पत्र: एच० एल० पॉलको", पृष्ठ २७७ और ३२०।
  2. देखिए खण्ड ३, पृष्ठ ३२८।