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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

पहले मुकदमेमें श्री गांधीने परवाना निरीक्षक श्री बैरेटसे पूछा कि क्या अबतक आपन इस तथ्यपर कोई ध्यान दिया था कि फेरीवाले अपनी व्यापारिक पेटियोंपर अपना नाम नहीं देते।

गवाहने उत्तर दिया, उसने ध्यान नहीं दिया। उसने कहा कि अभियुक्तने उससे कहा था कि उसका परवाना श्री गांधीके पास है।

श्री शॉ: उसने यह नहीं बताया कि उसने अपना परवाना श्री गांधीको अपनी "अनुमतिसे दिया, किरायेपर दिया या उधार दिया था?"

[ बैरेट: ] नहीं

एकको छोड़कर बाकी समस्त अभियुक्तोंको सात दिनकी सख्त कैदके विकल्पके साथ १ पौण्डके जुर्मानेकी सजा दी गई। इस व्यक्तिके मामलेमें श्री गांधीने कहा कि अभियुक्तको इससे पहले दो बार सजा दी जा चुकी है।

श्री शॉने कहा कि यह अभियुक्त उनमें से एक है जिन्हें गत मासमें बिना परवानेके फेरी लगानेके लिए १ पौंडके जुर्मानेकी, या चार दिनकी जेलकी सख्त सजा दी गई थी।

श्री गांधीने कहा कि अभियुक्तको गत जनवरीमें भी सजा दी गई थी परन्तु समझौतेके कारण उसे छोड़ दिया गया था।

इस अपराधीको १४ दिनकी कैदके विकल्पके साथ २ पौंड जुर्मानेकी सजा दी गई।

[ अंग्रेजीसे ]
ट्रान्सवाल लीडर, ४-८-१९०८

२५५. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

नायडूका आत्मत्याग

सोमवार [ अगस्त ३, १९०८ ]

मुझे यह लिखते हुए अत्यन्त दुःख होता है कि श्री थम्बी नायडूकी पत्नीका गर्भपात हो गया और आज बच्चेको दफना दिया गया है। श्री थम्बी नायडूको यह हाल नहीं मालूम है; किन्तु समाजके ऊपर उनका उपकार बढ़ता जा रहा है। वे कठिन समयमें पत्नीको छोड़कर जान-बूझकर समाजके लिए जेल गये और इसी बीच यह घटना हुई। श्री नायडू अभी जेलमें हैं।

इस घटनाका कारण श्री नायडूका जेल जाना हो सकता है। श्री नायडू जिस दिन जेल गये थे, श्रीमती नायडूसे मैं उसी दिन मिला था। श्री डोकने जैसा लिखा, उनकी हालत वैसी ही करुणाजनक थी। ऐसी साहसी स्त्रियाँ बहुत कम होती हैं जो लगातार दो-दो बार अपने पतिको जेल जाते हुए देखें, और फिर भी हिम्मत बनाये रख सकें। फिर, श्रीमती नायडूकी स्थितिमें तो इसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती।

इसमें सन्देह नहीं कि इस हत्याकी जिम्मेदारी ट्रान्सवाल सरकारके ऊपर ही है। उसके अन्यायके कारण समाजके व्यक्तियोंको ऐसे कष्ट उठाने पड़ रहे हैं।

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