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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

श्री नेसरने उत्तरमें लिखा है कि "कुली" शब्दका उपयोग करनेमें उनका विचार अपमान करनेका नहीं था। साधारणतः उसका व्यवहार भारतीयोंके लिए होता है, इसलिए उन्होंने किया।

भारतीयोंको क्या करना चाहिए?

श्री अल्फ्रेड बार्कर नामक यहाँके एक गोरे वकील हैं। उन्होंने 'आफ्रिकन मंथली' नामक मासिक पत्रिकामें हमारे विषयमें कुछ लिखा है। उसमें वे कहते हैं कि भारतीयोंको बस्तियोंमें भेजा जाये और उनका व्यापार भी वहीं रहे। बस्तियोंके बाहर उन्हें जमीन न दी जाये और सारे दक्षिण आफ्रिकामें उनका पंजीयन कराया जाये। बार्कर साहब कहते हैं कि अन्ततोगत्वा ऐसा होनेपर ही भारतीय इस देशसे निर्मूल होंगे।

ये सब गोरोंके निरर्थक प्रयत्न हैं। सारे दक्षिण आफ्रिकामें इस हद तक बातें नहीं होती। किन्तु फिर भी हमें इससे यह सीख लेनी है कि जिस प्रकार गोरे किसी कामको हाथमें लेकर उसमें लगे रहते हैं, उसी प्रकार हमें अपने सम्मान और स्थितिकी रक्षा करनेके लिए जुटे रहना चाहिए।

शाबास स्टैंडर्टन!

स्टैंडर्टनसे श्री सी० एल० पटेल, श्री इस्माइल मुहम्मद दीनदार, और श्री इस्माइल भाभाके पकड़े जाने की खबर मिली है।[१] उनपर बिना परवानेके दूकान चलाने का आरोप था। श्री पोलक उनकी पैरवीके लिए वहाँ जा पहुँचे थे। उन लोगोंको ३ पौंड जुर्माना और १४ दिनकी सख्त कैदको सजा दी गई है। उन्होंने जुर्माना न देकर जेल जाना पसन्द किया है। श्री अब्दुल हकने टेलिफोनसे खबर दी कि बादमें १० और भारतीयोंको पकड़ने का हुक्म आया। ये भारतीय भी जेल चले गये।

स्टैंडर्टके लोगोंने कमाल किया। वे कसौटीपर खरे उतरे। मेरे सुननेमें आया था कि स्टैंडर्टन, पॉचेफ्स्ट्रम और क्लार्क्सडॉर्पको कमजोर मानना चाहिए। उन्हें गिने बिना संघर्ष चलाना पड़ेगा। अब स्टैंडर्टनने इस खबरको झूठा सिद्ध कर दिया है, इतना ही नहीं बल्कि जबरदस्त हिम्मत दिखाई है। मैं मानता हूँ कि समय आनेपर इसी प्रकार क्लार्क्सडॉर्प और पॉचेफ्स्ट्रम भी अपना जौहर दिखायेंगे। इस संघर्षमें मेरा यह अनुभव हुआ है कि किसीको पहलेसे कमजोर मानकर छोड़ना और सबल मानकर किसीपर भरोसा करना ठीक नहीं है। इस काममें इतनी नवीनताएँ भरी हुई हैं कि किसीका मन काबूमें नहीं रहता। भगवान जिसके हृदयमें बैठकर हिम्मत बढ़ाये, वही बहादुरी दिखा सकता है।

हम सबको ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए कि सभीमें स्टैंडर्टन-जैसी हिम्मत आये।

तीन छूटे

श्री गोविन्द बेचर, श्री लल्लू घेला तथा श्री गोकल देवा पिछले हफ्ते समाज के लिए तथा अपने लिए जेल गये थे। वे आज छूट गये। उनके स्वागतके लिए श्री इमाम साहब अब्दुल कादिर बावजीर, श्री गांधी तथा दूसरे भाई गये थे। वे अपने वचनके अनुसार फिर जेल जानेके लिए तैयार हैं।

 
  1. "स्टैंडर्टनके बहादुर भारतीय", पृष्ठ ४२५ भी देखिए।