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२५६. पत्र: डब्ल्यू० हॉस्केनको

[ जोहानिसबर्ग ]
अगस्त ५, १९०८

प्रिय श्री हॉस्केन,

आज स्टैंडर्टनमें १३ भारतीय बिना परवानेके व्यापार करनेके अपराधमें गिरफ्तार कर लिये गये। उन सबको ३-३ पौंड जुर्माने या १४ दिनके सपरिश्रम कारावासकी सजा दी गई। सभीने जेल जाना पसन्द किया।[१] वे सभी ट्रान्सवालके प्रामाणिक अधिवासी हैं और मेरा विश्वास है कि उनके पास गत ३० जून तक के परवाने हैं। परवानोंको नया करनेके लिए प्रार्थनापत्र देनेपर उन्हें एशियाई अधिनियमके अन्तर्गत अँगूठोंके निशान देनेके लिए कहा गया, किन्तु उन्होंने वैसा करनेसे इनकार कर दिया। इसीलिए उन्होंने बिना परवानेके व्यापार किया और इसीलिए उनपर मुकदमे भी चलाये गये। प्रगतिवादी दल कुछ भी क्यों न करना चाहे, क्या आप यह नहीं सोचते कि एक स्वतन्त्र सदस्यकी हैसियतसे आपको विधानसभामें जनरल स्मट्ससे प्रश्न पूछना चाहिए?

एक बात और है। आप जानते ही हैं कि भारतीय कैदियोंको अधिक मानवोचित आहार देनेके सम्बन्धमें ब्रिटिश भारतीय संघने जेल-निदेशक से निवेदन किया है।[२] यूरोपीयोंको उनके उपयुक्त भोजन मिलता है, केप ब्वायजको यूरोपीय खाना मिलता है, और वतनियोंको उन्हींका राष्ट्रीय भोजन दिया जाता है। भारतीयोंको वतनियोंकी श्रेणीमें रखा गया है, और इसलिए उनकी सर्वथा उपेक्षा की जाती है। सिर्फ एक समयके भोजनमें उन्हें थोड़े परिमाणमें चावल और चर्बी मिलती है। इसलिए कलेवा करनेके समयसे भारतीयोंको भूखे ही रह जाना पड़ता है, क्योंकि उनसे मकईका दलिया नहीं खाया जाता। मुझे आशंका है कि अधिकारी-वर्ग, भले केवल बदलेकी भावनासे ही क्यों न हो, भारतीय बन्दियोंके भोजनकी मात्रामें फेर-फार नहीं करेंगे। मेरे विचारसे, मेरे देशवासी इस हालतमें भी दृढ़ रहेंगे और इस अतिरिक्त बर्बरताको बर्दाश्त कर लेंगे। किन्तु क्या आप सदनमें प्रश्न नहीं पूछ सकते अथवा किसी दूसरी तरहसे इस मामलेमें सक्रिय कदम उठाकर उचित सुधार नहीं करा सकते? उनरल स्मट्सने उस समय, जब कि वे भारतीयोंसे सब-कुछ हासिल कर लेना चाहते थे, मुझसे मुसकराते हुए कहा था कि वे ट्रान्सवाल जेलमें भारतीयोंकी खास कठिनाइयोंके बारेमें मेरी बात ध्यानसे सुनेंगे। वे दिन अब बीत गये हैं, लेकिन आशा है, वे दिन अभी नहीं बीते हैं, जबकि आप-जैसे व्यक्ति इस बातपर जोर देते रहेंगे कि शिष्टता बरती जानी चाहिए; या, कमसे-कम ट्रान्सवालकी जनताके नामपर जो बर्बरता हो रही है उससे अपनेको अलग रखे रहेंगे।

आपका सच्चा,

श्री डब्ल्यू० हॉस्केन
सदस्य, विधानसभा
विधानसभा -भवन,
प्रिटोरिया

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४८५४) से।

 
  1. देखिए "जोहानिसबर्गकी चिठ्ठी", पृष्ठ ४२० और "स्टैंडर्टनके बहादुर भारतीय", पृष्ठ ४२५।
  2. देखिए "पत्र: जेल-निदेशकको", पृष्ठ ३९२।