पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/४६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४३०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अभियुक्तने अपराधको स्वीकार किया और उनके पिताने उनकी पैरवी की। श्री कैमर अभियोक्ता थे।

"बी" विभागके अधीक्षक वरनॉनने गिरफ्तारीका सबूत पेश करते हुए बताया कि उन्होंने अभियुक्तसे अपने पंजीयनका प्रमाणपत्र दिखानेके लिए कहा। परन्तु उसने ऐसा नहीं किया और कहा कि उसके पास वह नहीं है।

श्री गांधीने अभियुक्तकी तरफसे कहा कि वह उपनिवेश छोड़कर जाना नहीं चाहता। परन्तु फिर भी उसको इच्छा है कि अदालत २४ घंटेके अन्दर उपनिवेश छोड़कर चले जाने की आज्ञा उसे दे दे। उन्होंने यह प्रार्थना इसलिए की कि जिन दो भारतीयोंकी मीयाद इस कानूनके मातहत बुधवारको समाप्त हो रही है वे जेल जाना चाहेंगे। श्री गांधीने आशा की कि न्यायाधीश महोदय इसी मार्गको ग्रहण करेंगे, क्योंकि अभियुक्तके मामले उन्हींके सामने हैं।

श्री जॉर्डनने हुक्म सुनाया कि अभियुक्त सात दिनके अन्दर उपनिवेश छोड़कर चला जाये।

[ अंग्रेजीसे ]
ट्रान्सवाल लीडर ११-८-१९०८

२६४. भाषण: सार्वजनिक सभामें

[ जोहानिसबर्ग
अगस्त १०, १९०८ ]

हरिलाल गांधीपर उपनिवेशमें पंजीयन प्रमाणपत्रके बिना होनेके अपराध-सम्बन्धी मुकदमेके एकदम बाद ही कल [ अगस्त १०, १९०८ को ] अदालतकी इमारतके पास एक खुले मैदानमें भारतीयोंकी सार्वजनिक सभा हुई। श्री मो० क० गांधीने अंग्रेजीमें भाषण दिया और कहा कि वेरीनिगिंगसे अभी-अभी इस आशयका तार मिला है कि बहुत-से भारतीय दूकानदारोंको, जो बिना परवानोंके फेरी लगाते या व्यापार करते हुए गिरफ्तार किये गये थे, मजिस्ट्रेटने कारावासका विकल्प नहीं दिया, बल्कि प्रत्येकपर २ पौंड ७ शिलिंग ६ पेंस जुर्माना किया। उन्हें २४ घंटेमें जुर्माना देना अथवा अदालतके द्वारा अपने मालकी नीलामी स्वीकार करना था। इससे संघर्षमें एक नया पहलू दाखिल हो गया है, किन्तु मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं है कि ब्रिटिश भारतीय इससे चकरायेंगे नहीं। मुझे नहीं मालूम कि मजिस्ट्रेटको कुछ असाधारण मामलोंमें कानून विभागसे कानूनकी धाराओंपर अमल करनेकी हिदायत मिली है अथवा उसने स्वयं अपनी मर्जीसे ऐसा किया है। किन्तु इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि जनरल स्मट्ससे कोई रियायत नहीं मिलेगी और रियायत माँगना हमारे लिए शोभाकी बात भी नहीं है। हम लोग संघर्ष इसलिए चला रहे हैं कि जनरल स्मट्स अधिनियमको रद करनेके अपने वादेपर अमल करनेके लिए बाध्य हो जायें। रिचमंडकी सभाके विवरणमें यह वादा प्रकाशित हुआ था। इसमें उन्होंने कहा था कि जब सब पंजीयन