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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अब हमें एक ऐसे कानूनके खण्डके अन्तर्गत ले आया गया है जिसका निर्माण असाधारण मतलबोंसे किया गया है।

जुर्माना देनेसे इनकार कीजिए

मुझे आशा है कि मेरे देशभाइयोंमें इतनी त्याग-भावना है कि वे जुर्माना देनेसे इनकार कर दें और अपनी आँखोंके सामने ही अपना सामान बिक जाने दें। मुझे तनिक भी सन्देह नहीं है कि जब यूरोपीय लोग देखेंगे कि ब्रिटिश भारतीय इसे भी बर्दाश्त कर सकते हैं तब खुद वे ही लोग जनरल स्मट्ससे कहेंगे कि वे अपने हाथ रोकें और अपने वादे पूरे करें और जो शर्तें तय की थीं उन शर्तोंपर अधिनियमको रद करें। हमें कष्ट झेलना है, ताकि जनरल स्मट्सने हमारे साथ जो एक करार किया है उसको पूरी तरह व्यावहारिक रूप दिया जा सके। ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्षकी नाक इसलिए तोड़ दी गई, क्योंकि उन्होंने सरकारके साथ अपने एक करारको पूरा करनेमें सरकारका साथ दिया था;[१] और सरकारने उन्हें इसका पुरस्कार वचन-भंग, विश्वासघातके रूपमें दिया। मैं कहीं भी बिना हिचक यह बात दुहरा सकता हूँ कि जनरल स्मट्सने गम्भीरतापूर्वक उक्त वचन दिया था। हम देखते हैं कि न केवल वह अधिनियम रद नहीं किया गया, बल्कि संसदमें तरह-तरहके क्लेशकारी विनियम पास किये जा रहे हैं, जो ब्रिटिश भारतसे आनेवालोंको प्रभावित करते हैं।

दक्षिण आफ्रिकामें साझी

उन्होंने कहा, यह देश जितना गोरोंका है उतना ही ब्रिटिश भारतीयोंका भी है। ये दोनों ही साझेदार हैं। गोरे अधिक शक्तिशाली साझेदार हैं, किन्तु हैं दोनों साझेदार ही। भारतीय केवल न्याय और ईमानदारीका व्यवहार चाहते हैं और यदि ये चीजें नहीं मिलतीं तो उन्हें दिखा देना चाहिए कि वे कष्ट झेलने को तैयार हैं। मेरी राय है कि जो आदमी अपनेको बादशाह एडवर्डकी प्रजा कहता है उसे अपने अधिकारोंका छीना जाना बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। इसके विपरीत, उनकी रक्षाके लिए उसे कष्ट झेलना चाहिए। चूँकि हमारी चमड़ी रंगदार है इसलिए इस देशमें हमें कुछ नहीं समझा जाता, हमारी अनुभूतियोंकी उपेक्षा होती है, हमारी भावनाओंकी अवमानना होती है और हमारी अन्तरात्माका तिरस्कार होता है। हमें दिखा देना चाहिए कि हममें इतनी त्यागकी भावना है कि अपनी सम्पत्तिका जब्त होना बर्दाश्त कर सकें, और इस तरह सरकारको मजबूर करें कि जिस समझौतेको एशियाइयों ने सम्मानजनक ढंगसे पूरा किया है, उसका अपना हिस्सा सरकार भी पूरा करे। श्री नायडू आज ही जेलसे आये हैं। मैं पहले भी कह चुका हूँ कि जिस चीनीने आत्मघात कर लिया था उसकी मृत्युके लिए श्री स्मट्स जिम्मेदार हैं। श्री स्मट्स उसके लिए तो जिम्मेदार हैं ही, अब वे शिशु नायडूकी हत्याके लिए भी जिम्मेदार हैं। जब श्री नायडू जेल गये, उस समय श्रीमती नायडू प्रसव-पीड़ा थीं, और श्रीमती नायडूने एक मृत बालकको जन्म दिया। इसके लिए यदि श्री स्मट्स जिम्मेदार नहीं तो फिर कौन है? मेरा पक्का विश्वास है कि इन सब तकलीफोंकी कैफियत आज नहीं तो कल देनी होगी।

 
  1. देखिए "जोहानिसबर्गको चिठ्ठी", पृष्ठ २४३-४४ और "ईसप मियाँ", पृष्ठ २४९।