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तीन फेरीवालोंका मुकदमा

श्री स्मट्स ईसाई हैं और हम सबोंकी तरह ही परलोकमें विश्वास करते हैं और जिस प्रकार हमें अपने कर्मोंकी कैफियत देनी होगी, उसी तरह उन्हें भी उन सब बातोंकी कैफियत देनी होगी।

श्री गांधीने भाषण समाप्त करते हुए ब्रिटिश भारतीयोंसे एक बार फिर अपील की कि जिन चीजोंको वे सही और न्यायोचित समझते हैं उनके लिए हर कष्ट झेलें। इसके बाद उन्होंने गुजरातीमें भाषण[१] शुरू किया।

[ अंग्रेजीसे ]
ट्रान्सवाल लीडर, ११-८-१९०८

२६५. तीन फेरीवालोंका मुकदमा

[ जोहानिसबर्ग
अगस्त ११, १९०८ ]

...कल [ ११ अगस्त १९०८ ] सुबह "डी" अदालतमें श्री एच० एच० हॉपकिन्सके सामने तीन भारतीय फेरीवालोंपर बिना परवानोंके फेरी लगाने या परवाने माँगनेपर न दिखा सकनेका अभियोग लगाया गया। सरकारी पक्षकी ओरसे श्री शॉने और बचाव पक्षकी ओरसे श्री गांधीने पैरवी की।

एक मामलेमें गवाही देते समय, नगरपालिकाके परवाना निरीक्षक श्री फ्रेंचने कहा कि अभियुक्तोंमें से एकने उन्हें बताया था कि उसका परवाना श्री गांधीके पास है। गवाह श्री गांधीके दफ्तरमें गया और वहाँ उसे बताया गया कि उनके पास परवाना नहीं है।

श्री गांधी गवाही कठघरेमें गये और उन्होंने कहा कि उस अभियुक्तने कथित रूपसे जो कुछ कहा है, उसके सम्बन्धमें यह कहना है कि मेरे पास बहुत-से परवाने, शायद दो-तीन सौ, तथा कोई एक हजार पंजीयन प्रमाणपत्र भी हैं। ये परवाने तथा प्रमाणपत्र मेरे पास उन ब्रिटिश भारतीयोंने जमा किये हैं जिन्होंने उनका इस्तेमाल न करनेका निश्चय कर लिया था। मैंने यह जाननेके लिए अपने कागजातकी छानबीन नहीं की कि मेरे पास यह परवाना-विशेष था या नहीं। कारण, निरीक्षकने मुझसे ऐसा करनेको नहीं कहा था।

अभियुक्तोंमें से दोने कहा कि उन्होंने परवाने नहीं लिये हैं, क्योंकि उन्हें परवाना देनेसे पहले अँगूठेके निशान देने पड़ते।

मजिस्ट्रेटको जवाब देते हुए श्री शॉने कहा कि इस जुर्मकी सबसे कड़ी सजा २० पौंड जुर्माना या तीन महीनेकी कैद है।

सभी अभियुक्त दोषी ठहराये गये और उन्हें १-१ पौंड जुर्माने या सात-सात दिनकी सख्त कैदकी सजा दी गई।

उन सबने जेल जाना पसन्द किया।...

[ अंग्रेजीसे ]
ट्रान्सवाल लीडर, १२-८-१९०८
 
  1. गुजराती भाषणकी रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।
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