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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

बुधवार [ अगस्त १२, १९०८]

मूलजीभाई पटेल

श्री पटेलको आज सवेरे ६ बजे पकड़ लिया गया। १० बजे उनपर मुकदमा चला।[१] श्री गांधी उपस्थित थे। श्री पटेलने कोई प्रमाण नहीं दिया, उलटे जिरहके वक्त श्री वरनॉनके साथ झड़प हो गई। श्री पटेलको एक महीनेकी सख्त सजा दी गई। श्री पटेल बड़े उत्साहमें हैं। वे बहुत ही प्रसन्न थे। जितने अधिक ऐसे व्यक्ति जेल जाते हैं, भारतीय समाजकी जिम्मेदारी उतनी अधिक बढ़ती जाती है। ऐसे लोगोंको जेल भेजनेके बाद समाज पीछे नहीं हट सकता।

दो फेरीवाले

श्री ओधव भीखा तथा श्री एस० शिवलिंगम् पिल्लेपर [ बिना परवाना ] व्यापार करनेका मुकदमा चला। उन्हें एक पौंड जुर्माने अथवा सात दिन जेलकी सजा दी गई। जुर्माना न देकर दोनों बहादुर भारतीय जेल चले गये।

जर्मिस्टनमें

नाना नामक एक भारतीय था। उसपर मुकदमा चला। वह [ निश्चित समयपर ] अदालतमें उपस्थित नहीं हुआ और उसकी जमानत जब्त हो गई। श्री गॉडफ्रे उसकी पैरवी करनेके लिए जानेवाले थे। इस प्रकारके व्यक्तियोंसे समाजका बहुत बड़ा नुकसान होता है।

क्लार्क्सडॉर्समें

अब्दुल मुहम्मद नामक एक भारतीयके ऊपर भी ऐसा ही मुकदमा था। उसने साहसके साथ अपनी पैरवी की। उसने गवाही देते हुए कहा कि वह कदापि अँगूठेकी छाप नहीं देगा। उसे चार दिनकी जेल अथवा एक पौंडका जुर्माना किया गया। वे भाईसाहब जेल तो चले गये, किन्तु दूसरे दिन जुर्माना दे दिया। यहाँके समाचारपत्रमें यह मामला देखनेको मिला, नहीं तो खबर भी नहीं पड़ती।

संघर्ष किस तरह करना चाहिए?

श्री इमाम अब्दुल कादिर बावजीर, श्री फैन्सी, श्री इब्राहीम कुवाड़िया, श्री उमरजी साले, श्री दिलदार खाँ, श्री अहमद मूसाजी, तथा श्री मोहनलाल गोशलिया---इतने भारतीय आज चार्ल्सटाउन रवाना हुए हैं। उक्त सज्जन चार्ल्सटाउनसे वापस आयेंगे। वे अँगूठेकी छाप नहीं देंगे, पंजीयन प्रमाणपत्र नहीं दिखायेंगे और जेल जायेंगे।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १५-८-१९०८
 
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