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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

५. माननीय उपनिवेश सचिव और ब्रिटिश भारतीय संघके अवैतनिक मन्त्री तथा अन्य सह-हस्ताक्षरकर्ताओंके बीच जो पत्र-व्यवहार हुआ था, उसमें समझौते की शर्तें ये थीं:

(क) समझौतेके समय उपनिवेशमें रहनेवाले सभी एशियाई निवासी समझौतेकी तिथि से "यों कहिए कि ३ महीने के भीतर" स्वेच्छया पंजीयन प्रमाणपत्र ले लें।

(ख) १६ सालसे कम उम्रके बच्चे हर प्रकारके पंजीयनसे बरी रहेंगे।

(ग) पंजीयनकी यह पद्धति उनपर लागू होगी जिन्हें ट्रान्सवालमें प्रवेश करनेका अधिकार है किन्तु जो समझौतेके समय ट्रान्सवालमें उपस्थित नहीं थे।

(घ) जिन्होंने स्वेच्छया पंजीयन करा लिया, उनपर १९०७ का अधिनियम २ लागू नहीं किया जायेगा।

(ङ) सरकार जो अन्य पद्धति उचित समझेगी, स्वेच्छया पंजीयन उसके मुताबिक वैध बनाया जा सकता है।[१]

६. ब्रिटिश भारतीय संघके अवैतनिक मन्त्रीको माननीय उपनिवेश-सचिवने भेंट करनेके जो अवसर दिये थे, उन अवसरोंपर हुई बातचीतमें अन्य बातोंकी भी पूर्ति हो गई थी।

७. इन अवसरोंपर वैध करनेकी पद्धतिके प्रश्नपर चर्चा हुई थी और माननीय उपनिवेश-सचिवने निश्चित वचन दिया था कि यदि ट्रान्सवालके सारे एशियाई स्वेच्छया पंजीयन करा लें तो उक्त अधिनियम रद कर दिया जायेगा।

८. माननीय उपनिवेश-सचिवने समझौतेके तुरन्त बाद रिचमंडमें दिये गये अपने व्याख्यानोंमें[२] से एकमें उक्त वचनका उल्लेख किया था।

९. प्रार्थीगण सम्माननीय सदनका ध्यान इस तथ्यकी ओर आकर्षित करते हैं कि जिन एशियाइयोंको स्वेच्छया पंजीयन करानेका अवसर मिला, उन्होंने पंजीयन करा लिया है और दूसरे भी पंजीयन करानेके लिए सदा तैयार रहे हैं, किन्तु ९ मईके बाद स्वेच्छया पंजीयन स्वीकार नहीं किया गया है।

१०. अतः, इस सम्माननीय सदनके सामने जो विधेयक है, वह निम्नलिखित बातोंमें समझौतेके खिलाफ है:

(क) १९०७ के अधिनियम २ को वह रद नहीं करता।

(ख) यद्यपि वह जाहिरमें एक अलग उपायका अवलम्बन लेकर स्वेच्छया पंजीयनको वैध रूप देता है, किन्तु स्वेच्छया पंजीयन करानेवालोंको वह उक्त अधिनियमके नियन्त्रणसे निश्चित और असंदिग्ध रूपमें बरी नहीं करता।

(ग) वह स्वेच्छया पंजीयन प्रमाणपत्र प्राप्त लोगोंके १६ वर्षसे कम उम्रके बच्चोंको भी पंजीयनसे बरी नहीं करता।

(घ) इसके अनुच्छेद ५ के उप-अनुच्छेद (ग) में उल्लिखित एशियाइयोंके लिए स्वेच्छया पंजीयनकी गुंजाइश इस विधेयकमें नहीं है।

११.इसलिए प्रार्थी संघकी नम्र रायमें यह विधेयक उन शर्तोंको तोड़ता है जिनका पालन सरकार द्वारा किया जाना था।

 
  1. देखिए "पत्र: उपनिवेश सचिवको", पृष्ठ ३९-४१।
  2. देखिए परिशिष्ट ८।