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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

नेटाल भारतीय कांग्रेस, डर्बनके अध्यक्ष,[१] ब्रिटिश भारतीय लीग, केप टाउनके अध्यक्ष,[२] नेटाल भारतीय कांग्रेसके उपाध्यक्ष[३] तथा नेटाल भारतीय कांग्रेसके संयुक्त मंत्री,[४] जिनमें से प्रत्येक भारतके किसी-न-किसी भिन्न सम्प्रदाय या जातिका प्रतिनिधित्व करते हैं, कुछ गिरमिटिया भारतीयोंको तथा कुछ उन भारतीयोंको, जो यह दावा करते हैं कि वे युद्धसे पूर्वके अधिवासी हैं, लेकर आज सीमापर आये हैं और वे या तो गिरफ्तार हो जायेंगे या बिना किसी चुनौतीके प्रवेश पा जायेंगे।

मेरे विचारमें ये तथ्य एशियाई अधिनियमके खिलाफ प्रबल, सच्चा तथा अदम्य विरोध प्रकट करते हैं, और मेरा यह खयाल करना उचित है कि आप उन लोगोंके साथ, जो ट्रान्सवालमें रहनेके अधिकारी हैं, अन्याय नहीं करना चाहते। सरकारके प्रतिनिधिकी हैसियतसे आपके तथा ब्रिटिश भारतीयोंके बीच बहुत थोड़ा मतभेद है। इसलिए मैं आपसे एक बार फिर अपील करता हूँ कि उस प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयकके मसविदेको, जो मुझे दिखाया गया था, वापस लेकर मेरे दिये गये सुझावोंको स्वीकार कर लें और शिक्षित भारतीयोंके प्रश्नको तबतक के लिए खुला छोड़ दें जब तक कि आप स्वयं अधिनियममें ऐसा संशोधन नहीं करते जिससे कि ऐसे शिक्षित भारतीयोंके लिए, जो शिक्षितोंके धन्धे करते हैं या विश्वविद्यालयमें शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं, दरवाजा खुला रहे। मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि आप उस प्रार्थनापत्रको,[५] जो कि सदनके नाम लिखा गया है, गौरसे पढ़ें और स्वयं देखें कि क्या प्रकाशित किया गया विधेयक प्रायः समझौतेकी हर बातको नहीं तोड़ता। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि तब आप उन मुलाकातोंका स्मरण करें जो कि स्वेच्छया पंजीयन प्रारम्भ होनेसे पहले हमारे बीच हुई थीं और देखें कि उन अवसरोंपर आपने क्या कहा था। मैं आपसे यह प्रार्थना भी करता हूँ कि आप मेरे इस आश्वासनको स्वीकार कर लें कि मेरी या भारतीय समाजके नेताओंकी इससे अधिक कतई कोई इच्छा नहीं है कि उन लोगोंके साथ, जो इस देशके वास्तविक अधिवासी हैं, न्यायका व्यवहार हो।

यदि आपको मेरे उपर्युक्त सुझाव स्वीकार न हों, तो मैं यह सलाह देनेका साहस करता हूँ कि आप कुछ भारतीय नेताओंसे मिलकर ऐसी स्वीकार्य व्यवस्था निश्चित करें जिससे समझौतेके मर्मका पालन हो जाये और जो इस कष्टदायक स्थितिको समाप्त करे। यदि आप दोनों बातोंमें से एक भी नहीं कर सकते तो, मुझे डर है, रविवारके दिन सार्वजनिक सभामें प्रमाणपत्र जलानेके संकल्पको निश्चित रूपसे पूरा किया जायेगा। यह सलाह देनेकी जिम्मेवारी पूर्ण रूपसे मेरे ऊपर है।

आपका विश्वस्त

जनरल जे० सी० स्मट्स
प्रिटोरिया

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४८५७) से।

 
  1. दाउद मुहम्मद
  2. आदम हाजी गुल मुहम्मद
  3. पारसी रुस्तमजी
  4. एम० सी० आँगलिया
  5. देखिए पिछला शीर्षक।