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२७७. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

बुधवार [ अगस्त १९, १९०८ ]

समझौतेके बारेमें बातचीत

इस बार पाठक मुझे संक्षिप्त चिट्ठी लिखनेके लिए माफ करेंगे। लिखना तो बहुत ज्यादा है, किन्तु मेरे पास एक पलका भी समय नहीं है, इसलिए आखिरी खबर पहले दे रहा हूँ।

श्री गांधीको सोमवारकी रातको ११ बजे खबर मिली कि जनरल स्मट्सका बुलावा है। इसलिए वे वहाँ मंगलवारकी सुबह गये। श्री कार्टराइट तथा श्री क्विनको भी बुलाया गया था। तीन घंटोंतक जनरल बोथा, जनरल स्मट्स, सर पर्सी फिट्जपैट्रिक, सर जॉर्ज फेरार, श्री लिंड्से, श्री हॉस्केन तथा श्री चैपलिनके साथ बातचीत हुई। अन्तमें सरकारने नीचे लिखे अनुसार करना स्वीकार किया:--

(१) तुर्की मुसलमानोंपर यह कानून बिलकुल लागू नहीं होगा।

(२) जो ट्रान्सवालमें बोअर लड़ाईके पहले तीन वर्ष रहनेकी बात सिद्ध कर दें उन्हें आनेकी इजाजत दी जायेगी।

(३) १६ वर्षके भीतरके लड़कोंका पंजीयन न कराया जाये।

(४) पंजीयन कराते समय यदि हस्ताक्षर सधे हुए हों, तो हस्ताक्षर, नहीं तो अँगूठेकी छाप दी जायेगी।

(५) मजिस्ट्रेटके सामने [ एशियाइयोंके पंजीयकके फैसलेके विरुद्ध ] अपील की जा सकती है और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालयके सामने।

(६) शराब सम्बन्धी खण्ड[१] निकाल दिया जायेगा।

(७) खूनी कानून औपचारिक रूपसे रहेगा, किन्तु जिन्होंने स्वेच्छया पंजीयन कराया है तथा जो अब बादमें पंजीयन करायेंगे वह उनपर लागू न होगा।

(८) २१वीं धारामें जो त्रुटि[२] रह गई है उसमें परिवर्तन किया जायेगा।

(९) जिन्होंने खूनी कानूनके मुताबिक पंजीयन कराया है, उन्हें नया पंजीयन करानेकी छूट दी जाये।

इन बातोंपर विचार करनेके लिए मंगलवारकी रातको सभा हुई।[३]बहुतसे व्यक्ति उपस्थित थे। अन्तमें प्रस्ताव हुआ कि गुरुवारको और लोगोंको निमन्त्रित करके फिर सभा की जाये।

 
  1. एशियाई कानून संशोधन अधिनियमका खण्ड १७ (४) देखिए खण्ड ७, पृष्ठ ४८१।
  2. संकेत अबूबकर अहमदकी चर्च-स्ट्रोटवाली सम्पतिकी ओर है जिसके न्यासी श्री एच० एस० एल० पोलक थे। एशियाई कानून संशोधन अधिनियमका यह खण्ड प्रत्येक एशियाईको यह अधिकार देता है कि वह, वसीयती अथवा अन्य उत्तराधिकारके द्वारा, अपनी १८८५ के कानून ३ के अमलमें आनेके पूर्व प्राप्त और अपने नाम पंजीकृत अचल सम्पत्तिका स्वामित्व किसी दूसरे एशियाईको दे सकता है। देखिए खण्ड ७, पृष्ठ ४३२ और ४३५।
  3. इस सभाका कोई विवरण प्राप्त नहीं है, परन्तु देखिए अगला शीर्षक।