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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

श्री भीखूभाई[१] मलिया

आज श्री भीखू भाई दयालजी मलियाका मुकदमा चला।[२] उनके पास अनुमतिपत्र था, फिर भी नये कानूनके अन्तर्गत नहीं था, इसलिए उन्हें सात दिनका नोटिस मिला। इस मुकदमेसे जाहिर होता है कि खूनी कानूनके रद होने की जरूरत अवश्य है।

अन्य समाचार

श्री इब्राहीम तथा श्री हसन मियाँ, दोनों मांस-विक्रेता परवानोंके बिना व्यापार करनेके अपराधमें मंगलवारको ८ दिनके लिए जेल गये।

श्री अहमद मोतारा, जो सत्याग्रहमें तीन बार जेल जा चुके हैं, आज (बुधवारको) छूट गये हैं। उनकी बहादुरीका सबको अनुकरण करना चाहिए।

पीटर्सबर्गमें श्री तैयब मूसा मेमन जेल गये हैं।

प्रिटोरियामें बहुतसे भारतीय जेल गये हैं। आशा है, उनके नाम बादमें दे सकेंगे। इन सबको धन्यवाद देना चाहिए। तार मिला है कि उनमें से एकको पुलिसने कचहरीमें मारा। इसके बारेमें जाँच हो रही है। यदि मार भी खानी पड़े, तो देशके लिए उसे स्वीकार करना चाहिए।

श्री नादिर शाह कामाने पिछली सभामें भाषण दिया था, इसलिए उनकी नौकरी जानेका भय है। उन्होंने इस बातकी परवाह नहीं की है। वे समाजके लिए लड़नेको तैयार हो गये हैं।

श्री सोराबजी शापुरजी अडाजानिया ट्रान्सवालमें फिर दाखिल होनेकी तैयारी कर रहे हैं। संघ द्वारा रोके जानेपर ही वे अभीतक दाखिल नहीं हुए।

[ जेलमें ] खुराकके बारेमें असन्तोषजनक उत्तर आया है। उसके सम्बन्ध में और भी उपाय किये जा रहे हैं।

बहुत-से लोग आनेके लिए तत्पर हैं। इसलिए मुझे कहना चाहिए कि जिनके अनुमतिपत्र ठीक हों, फिलहाल तो केवल उन्हें ही आना चाहिए। दूसरे लोगोंको नहीं आना चाहिए। इस काममें उतावली नहीं की जा सकती।

चीनी संघने डर्बनके सज्जनोंको कल शाम (मंगलवार) को आमन्त्रित किया। उनका अपना एक बहुत अच्छा क्लब है। भारतीय समाजके कोई क्लब नहीं है। चीनी केवल हजार होंगे, हम हजारों हैं, फिर भी हमारे पास वैसा कोई क्लब नहीं है । यह शरमानेकी बात है।

विलायतमें [ वहाँ अधिकारियों और जनताको हम ट्रान्सवालवासियोंकी तकलीफोंसे वाकिफ रखनेके लिए ] श्री रिच बड़ी मेहनत कर रहे हैं। श्री सोराबजीको देश-निकाला दिया गया है, उसके प्रति विरोध जाहिर करनेके लिए लन्दनमें भारतीयोंकी एक बड़ी सभा बुलाई गई है।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २९-८-१९०८
 
  1. पिछले शीर्षकमें "भीखा भाई" और यहाँ "भीखू भाई" है। निश्चय ही ये दोनों एक ही व्यक्ति हैं।
  2. देखिए पिछला शीर्षक।