पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/५१८

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२९०. पत्र: महान्यायवादीको[१]

[ जोहानिसबर्ग
अगस्त २८, १९०८ ]

माननीय महान्यायवादी
प्रिटोरिया
महोदय,

मेरे संघको सूचना मिली है कि गोपाल छिवा नामक एक भारतीयपर बिना परवानाके व्यापार करने का जो मुकदमा चलाया गया था, उसकी सुनवाईके समय २५ तारीखको जब उसके विरुद्ध सजा सुनाई गई तब उसके तुरन्त बाद ही ५० नम्बरका सिपाही उसे बलपूर्वक कठघरसे घसीट ले गया। मेरे संघको पता चला है कि इस घटनाको कई ब्रिटिश भारतीयोंने देखा था।

मेरा संघ कृतज्ञ होगा, यदि आप कृपापूर्वक इस मामलेकी जाँच करेंगे और ऐसे कदम उठायेंगे जो ब्रिटिश भारतीय कैदियोंको बल-प्रयोगसे बचानेके लिए आवश्यक हों।

आपका आज्ञाकारी सेवक
ईसप इस्माइल मियाँ
अध्यक्ष
ब्रिटिश भारतीय संघ

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १२-९-१९०८

२९१. पत्र: जेल-निदेशकको[२]

[ जोहानिसबर्ग
अगस्त २८, १९०८ ]

जेल-निदेशक
प्रिटोरिया
महोदय,

ट्रान्सवालकी जेलोंमें ब्रिटिश भारतीय कैदियोंके लिए निर्धारित खुराककी तालिकाके बारेमें आपका २४ तारीखका पत्र मिला।

मेरा संघ निवेदन करना चाहता है कि खूराक-तालिकामें परिवर्तनकी माँग इसलिए नहीं की गई है कि जो भोजन दिया जा रहा है वह चिकित्सा शास्त्रके अनुसार अनुचित है, बल्कि इसलिए कि यह ब्रिटिश भारतीय कैदियोंकी आदतोंके अनुरूप नहीं है। इसलिए मेरा संघ यह निवेदन करने का साहस करता है कि यह चिकित्सककी सम्मतिका नहीं, बल्कि भोजनके बारेमें ब्रिटिश भारतीयोंकी आदतों का पता लगानेका प्रश्न है।

 
  1. और
  2. सम्भवतः इनका मसविदा गांधीजी द्वारा तैयार किया गया था।