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ट्रान्सवाल भारतीय संघर्षपर टिप्पणियाँ

मेरा संघ स्वीकार करता है कि मकईका दलिया नेटालकी जेलोंमें भारतीय कैदियोंकी भोजन-तालिकाका अंग है। परन्तु इससे निकाले गये इस निष्कर्षसे कि मकईका दलिया भारतीय कैदियोंके लिए अनुकूल है, मेरा संघ सहमत नहीं है। सौभाग्यसे, सारे दक्षिण आफ्रिकामें बहुत कम भारतीय कैद हुए हैं और इसलिए भोजन-तालिकाके प्रश्नपर अबतक भारतीय सार्वजनिक संस्थाओंने ध्यान नहीं दिया है, परन्तु अब ट्रान्सवालमें जो असाधारण स्थिति उत्पन्न हो गई है, उसको देखते हुए यह प्रश्न बड़ा महत्वपूर्ण हो गया है। और यदि अधिकारियोंका इरादा भारतीयोंकी आदतों और भावोंकी सर्वथा उपेक्षा करनेका नहीं है तो मेरा संघ निवेदन करता है कि मेरे द्वारा सुझाये गये तरीकेसे जाँच करना नितान्त आवश्यक है।

मैं आपसे यह भी निवेदन कर देना चाहता हूँ कि आप यह बताना भूल गये हैं कि नेटालकी तालिकामें जहाँ मकईके दलियाको ब्रिटिश भारतीयोंकी खुराकके अंगके रूपमें रखा गया है, वहीं उसमें रोटीकी भी व्यवस्था है। इस प्रकार भारतीयोंको कमसे-कम ४ औंस रोटीका सहारा मिल जाता है। मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि नेटालकी तालिकाके अनुसार जिन कैदियोंको ४२ दिनसे ऊपरकी सजा भोगनी होती है उनकी भोजन-मात्रामें मकईके दलियाके अतिरिक्त गुड़ भी शामिल कर दिया जाता है और दूसरोंके लिए ट्रान्सवालकी तालिकाकी अपेक्षा कहीं अधिक उदारता बरती जाती है। इसलिए मेरा संघ सविनय आशा करता है कि इस मामलेपर पुनः विचार किया जायेगा।

आपका आज्ञाकारी सेवक
ईसप इस्माइल मियाँ
अध्यक्ष
ब्रिटिश भारतीय संघ

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १२-९-१९०८

२९२. ट्रान्सवाल भारतीय संघर्षपर टिप्पणियाँ

[ अगस्त २९, १९०८ ][१]

'ट्रान्सवाल लीडर'

"गलतियाँ" शीर्षक एक लेखमें 'लीडर' कहता है कि उपनिवेश-सचिव बहुत ज्यादा कामकाज होनेके कारण शायद यह नहीं जानते होंगे कि एशियाइयोंके ऊपर कानूनका अमल किस तरह किया जा रहा है। एक भारतीय दूरके इलाकेमें होनेके कारण अपना स्वेच्छया पंजीयन नहीं करा सका था। वह पिछले बुधवारको गिरफ्तार कर लिया गया। उसने सारी लड़ाईमें किसी प्रकारका कोई भी हिस्सा नहीं लिया था। नये विधेयकमें ऐसे भारतीयोंके रक्षणकी पूरी व्यवस्था की गई है, फिर भी उसे पकड़ लिया गया। इससे स्पष्ट हो जाता है कि खूनी कानून अभी जी रहा है। यह बात आसानीसे समझी जा सकती है कि अपढ़

 
  1. दाउद मोहम्मद तथा नेटालके कुछ अन्य व्यापारी २७ अगस्तको गिरफ्तार किये गये थे। इस गिरफ्तारीपर ट्रान्सवाल लीडरमें २८ अगस्तको टीका की गयी। आगेके अंशोंको देखनेसे पता चलता है कि संघर्षके ऊपर समाचारपत्रोंकी टिप्पणियोंका गांधीजी द्वारा लिखा गया यह सारांश ट्रान्सवाल लीडरकी टीका प्रकाशित होनेके लगभग तुरन्त बाद ही तैयार किया गया था।