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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और नासमझ तथा अन्य लोगोंको यह समझानेमें कि पुराना कानून मृतप्रायः हो गया है। और उसे विधिपूर्वक रद करनेकी कोई जरूरत नहीं है, ऐसी घटनाओंसे कितनी मुश्किल पैदा होती है। यह एक बड़ी गम्भीर गलती है। कल कुछ अग्रणी मुसलमानोंको जिस स्थानसे पकड़ा गया है वह जगह [ इस्लामिया अंजुमन ] उनके लिए धार्मिक महत्व रखती है। सरकार उन्हें पकड़ेगी, इसके बारेमें उनके मनमें कोई चोरी नहीं थी। तुर्किस्तानमें घट रही घटनाओंसे अधिकांश मुसलमानोंमें आजकल काफी उत्तेजना फैली हुई है। अंग्रेजी राज्यमें मुसलमानोंकी खासी बड़ी आबादी है। तिलक और उनके जैसे दूसरे लोग ऐसी घटनाओंका उपयोग करके अपनी जगह अंग्रेज शासकोंके काममें कठिनाइयाँ पैदा कर सकते हैं और हिन्दू-मुसलमानोंको 'एक्स्ट्रीमिस्ट पार्टी' ( गरम दल ) में खींच ले सकते हैं।

'प्रिटोरिया न्यूज'

'प्रिटोरिया न्यूज' अपने २५ तारीखके सम्पादकीयमें कहता है कि हमने जिस तरह जनरल स्मट्ससे समझौतेकी शर्तोंका पालन करनेके लिए कहा था उसी तरह अब हम एशियाइयोंसे कहते हैं कि जिन एशियाइयोंने अभीतक पंजीयन नहीं कराया है वे अपना पंजीयन करा लें। सरकारने जो वचन दिया था उसका उसने पूरा-पूरा पालन किया है और अब एशियाइयोंको भी उसका पूरा-पूरा पालन करना चाहिए। आव्रजनके सवालपर बादमें विचार करना अनुचित नहीं कहा जायेगा।

इसी लेखके नीचे "आव्रजन" शीर्षक एक दूसरे लेखमें वह लिखता है कि आव्रजनके सम्बन्धमें एशियाइयोंके साथ बहुत दुर्व्यवहार किया जा रहा है और उसके लिए हम उनके प्रति सहानुभूति प्रगट करते हैं। हमारे मौजूदा कानूनके अनुसार निम्न श्रेणीके रूसी, पोलैंडके निवासी, ग्रीक या दक्षिण-पूर्वी यूरोपकी कोई भी भाषा थोड़ी-सी भी जाननेवाले लोग इस देशमें चाहे जब आ सकते हैं और वे पूरे नागरिक-अधिकार भोगते हैं। इस मामलेमें यीडिश भाषा, यद्यपि वह यूरोपीय भाषा नहीं है, यूरोपकी भाषाओंके साथ गिनी गई है। सच पूछिए तो हमें सब प्रवेशार्थियोंके लिए समान रूपसे लागू हो, ऐसी कठिन परीक्षा रखनी चाहिए। प्रवासी-विभागके अधिकारियोंके हाथमें पर्याप्त सत्ता होना चाहिए और उन्हें ऊँचे विचार और उच्च कोटिकी विवेक-बुद्धि रखनेवाले होना चाहिए। उन्हें काफी अच्छा वेतन मिलना चाहिए जिससे कि वे रिश्वतके लालचमें न पड़ें। और उन्हें सावधानी के साथ इस बातकी पूरी जानकारी करा दी जानी चाहिए कि उपनिवेशमें किन लोगोंको प्रवेश नहीं करने देना है। संक्षेपमें, हम एशियाइयोंके लिए जो दरवाजा बन्द है, उसके न्यायपूर्वक बन्द रखे जानेकी सिफारिश करते हैं। यह देश और ज्यादा एशियाइयोंको बिलकुल नहीं आने दे सकता, इस बातसे हम पूरी तरह सहमत हैं। लेकिन हम तो इससे भी आगे बढ़ कर यह कहते हैं कि इस देशमें ऐसे कुछ गोरे दाखिल हो रहे हैं जो सम्भवतः एशियाइयोंसे भी ज्यादा भयंकर सिद्ध होंगे। एशियाइयोंके रहन-सहनका स्तर बहुत नीचा है, इसलिए वे व्यापारमें स्पर्धा करते हैं। किन्तु वे देशमें होने वाले अपराधोंकी संख्यामें कोई वृद्धि नहीं करते। लेकिन ऊपर उल्लिखित गोरे परदेशी इस देशमें आकर रोटीके लिए जहाँ-तहाँ भटकते हैं। हालमें ऐसे लोगोंकी संख्यामें असाधारण वृद्धि हुई है। उनके आनेसे सोने और हीरोंका तस्कर व्यापार बढ़ा है, शराबकी दुकानोंको उत्तेजन मिला है, दलालों और सूदखोरोंका धन्धा ज्यादा चल निकला है और इसी तरहके दूसरे कई अपराध बढ़े हैं। एशियाइयोंके लिए हमने अपने दरवाजे