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भाषण: हमीदिया मस्जिदकी सभामें

भली-भाँति बन्द कर दिये हैं, किन्तु ऊपर वर्णित कूड़ा-करकटको रोकनेके लिए भी हमें अपने दरवाजे तुरन्त ही बन्द करने चाहिए। ऐसा करनेसे यह धारणा दूर करना सम्भव होगा कि हम चमड़ीके रंगके कारण काले या पीले लोगोंको इस देशमें प्रवेश नहीं करने देना चाहते। जो इस देशको सचमुचमें "गोरोंका देश" बनाना चाहते हैं वे स्वीकार करेंगे कि ऊपर वर्णित कूड़ा-करकटकी तुलनामें हमारे वतनी और कानूनका पालन करनेवाले एशियाई ज्यादा पसन्द करने लायक हैं। हमें किसान, जमीनसे कुछ पैदा करनेवाले, परिश्रम करनेवाले, कारखाने चलानेवाले और इस तरह देशकी समृद्धि बढ़ानेवाले आदमी चाहिए। व्यापारी और सट्टेबाज तो इस देशमें काफी हो गये हैं।

श्री गांधीका उत्तर

उपर्युक्त लेखके जवाबमें श्री गांधीने 'प्रिटोरिया न्यूज' के सम्पादकको एक लम्बा पत्र[१] लिखा है। उसमें उन्होंने प्रमाणपूर्वक बताया है कि सरकार अपने वचनका पालन कर चुकी है, ऐसा अभी नहीं कहा जा सकता। यह सही है कि नये विधेयकमें थोड़ी राहत मिली है और खूनी कानून निष्प्रभाव कर दिया गया है; लेकिन मेरे भाई इतनेसे सन्तोष कर लेते, ऐसी परिस्थिति सरकारने नहीं रहने दी। खूनी कानूनके अनुसार मुकदमे अभी चलते ही रहते हैं। यह कानून बिलकुल रद करनेका वचन दिया गया था; उसका पालन होना चाहिए। आव्रजनके प्रश्नकी चर्चा करते हुए श्री गांधीने कहा है कि शिक्षित एशियाइयोंको दूसरोंके जैसे समान हक मिलने चाहिए।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ५-९-१९०८

२९३. भाषण: हमीदिया मस्जिदकी सभामें

[ जोहानिसबर्ग
अगस्त ३०, १९०८ ]

श्री गांधीने कल तीसरे पहर फोर्ड्सवर्गकी मस्जिदमें भारतीयोंकी एक सभामें भाषण किया। उस समय उन्होंने नेटालके नेताओंके निर्वासनका विशेष रूपसे उल्लेख किया। श्रोता-मण्डलीने आन्दोलनकी योजनाको हृदयसे स्वीकार किया और इस घोषणाका कि ये निर्वासित नेता सम्भवतः उसी रातको अपनी वापसी यात्रामें सीना पार करेंगे, बड़े जोशके साथ स्वागत किया गया। श्री गांधीने यह भी घोषित किया कि नेटालके पाँच और भारतीय सबेरे ९ बजे गिरफ्तार होंगे और निर्वासित किये जायेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
ट्रान्सवाल लीडर, ३१-८-१९०८
 
  1. मूल अंग्रेजी पत्र उपलब्ध नहीं है।
८-३१