पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/५२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४८३
परिशिष्ट

(छ) कोई एशियाई, जो १९०७ के एशियाई कानून संशोधन विधेयकके अन्तर्गत पंजीयन प्रमाणपत्र लेनेका अधिकारी है या जिसने पंजीयन प्रमाणपत्र ले लिया है, और जो "निषिद्ध प्रवासी" की परिभाषाके उपखण्ड (३) (४) (५) (६) (७) या (८) की मर्यादाके भीतर नहीं आता;

४. गवर्नर, समय-समयपर किसी भी दक्षिण आफ्रिकी उपनिवेश या प्रदेशसे उन कामों या बातोंको करनेके सम्बन्धमें समझौता कर सकता है जो इस अधिनियमके उद्देश्यों और अभिप्रायोंकी पूर्तिके लिए आवश्यक या उपयुक्त हैं।

५. प्रत्येक निषिद्ध प्रवासी, जो इस उपनिवेशमें प्रवेश करता है या मिलता है, अपराधका दोषी होगा और अपराध सिद्ध होनेपर निम्न दण्डोंका पात्र होगा:

(१) जुर्मानेका, जो एक सौ पौंडसे अधिक न होगा या जुर्माना न देनेपर कैदका, जो छः महीनेसे ज्यादाकी न होगी या उक्त जुर्माने और कैद दोनोंका; और

(२) किसी भी समय मन्त्रीके हस्ताक्षरोंसे युक्त वारंट द्वारा उपनिवेशसे निकाले जानेका और निकाले जाने के समय तक कानूनमें बताये गये अनुसार हिरासतमें रखे जानेका; व्यवस्था की जाती है कि

(क) ऐसा निषिद्ध प्रवासी उस हिरासतसे रिहा किया जा सकता है, बशर्ते कि उसे उपनिवेशमें दो मंजूरशुदा जामिन (सौ-सौ पौंडकी जमानत देनेवाले) मिल जायें और वे यह आश्वासन दें कि वह उपनिवेश से एक महीनेमें चला जायेगा;

(ख) यदि ऐसे निषिद्ध प्रवासीको कैदकी सजा दी जाये तो उसकी वह फैदकी सजा उसके उपनिवेश से निकाले जाते ही खत्म हो जायेगी।

६. कोई भी व्यक्ति, जो

(क) इस कानूनके लागू होनेकी तारीखके बाद १९०३ के अनैतिकता अध्यादेशके खण्ड तीन, तेरह या इक्कीसका या उन खण्डोंके किसी संशोधनका उल्लंघन करनेका अपराधी ठहरता है; या

(ख) यदि उपनिवेशमें रहता है तो मन्त्री द्वारा उचित आधारोंपर इस उपनिवेशकी शान्ति व्यवस्था और उसके सुशासनके लिए खतरनाक समझा जाता है; या

(ग) किसी कानूनके अन्तर्गत इस उपनिवेशसे चले जानेकी आशा दिये जानेपर उस आज्ञाकी शर्तोंका पालन करनेमें असमर्थ रहता है;

वह व्यक्ति मन्त्रीके हस्ताक्षरोंसे युक्त वारंटपर गिरफ्तार किया जा सकता है और इस उपनिवेशसे निकाला जा सकता है एवं निकाले जानेके समय तक कानून द्वारा बताये गये अनुसार हिरासतमें रखा जा सकता है; व्यवस्था की जाती है कि ऐसा व्यक्ति, जिसका उल्लेख इसके अनुच्छेद (ख) में किया गया है, इस उपनिवेशसे गवर्नरके अतिरिक्त अन्य किसीके आदेशसे न निकाला जायेगा; यह भी व्यवस्था की जाती है कि ऐसे गिरफ्तार किये गये प्रत्येक व्यक्तिको, यदि गवर्नर उसकी गिरफ्तारीके बाद दस दिनके भीतर उपनिवेशसे निकालनेकी आशा न दे तो, हिरासतसे छोड़ दिया जायेगा।

७. कोई व्यक्ति जो

(१) जानबूझ कर निषिद्ध प्रवासीको इस उपनिवेशमें प्रवेश करनेमें या रहने में सहायता देता है या उसे उसके लिए उकसाता है; या

(२) जानबूझ कर खण्ड छः के अन्तर्गत निकाले जानेकी आज्ञा दिये गये व्यक्तिको उपनिवेशमें रहने में सहायता देता है या उसे उसके लिए उकसाता है; या

(३) इस उपनिवेशसे बाहरके किसी व्यक्तिके साथ इस अधिनियमकी धाराओंको टालनेकी मंशासे नौकरी देने वालेके रूपमें करार करता है, या ऐसा काम करता है, जिसका आशय करार करना होता हो, या करार करते समय या ऐसा काम करते समय, जिसका आशय करार करना होता हो अपनी जिम्मेदारी पूरी करनेमें असमर्थ हो, या उसके ऐसा कर सकनेकी उचित आशा न हो; या