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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

(४) "निषिद्ध प्रवासी" की परिभाषासे मुक्त लोगोंके वर्गोंके अनुच्छेद (१) के अन्तर्गत दिये गये किसी प्रमाणपत्रका उपयोग करता हो या उसका उपयोग करनेका प्रयत्न करता हो; बशर्ते कि वह उस प्रमाणपत्रका वैध स्वामी न हो; या

(५) कोई कागज, जिसका हेतु ऐसे प्रमाणपत्रका काम देना है, जाली तैयार करता है या उसको जाली जानते हुए भी प्रयोगमें लाता है,

अपराधका दोषी होगा और अपराध सिद्ध होनेपर जुर्मानेका, जो सौ पौंडसे अधिक न होगा, या जुर्माना न देनेपर कैदका, जो छः महीनेसे ज्यादा न होगी,या इस जुर्माने या कैद दोनोंका पात्र होगा।

८. कोई भी निषिद्ध प्रवासी इस उपनिवेशमें कोई व्यापार या धन्धा करनेका परवाना पाने या पट्टेपर या पट्टेसे मुक्त भूमि सम्बन्धी स्वार्थ या अन्य कोई स्वार्थ प्राप्त करनेका अधिकारी न होगा; और ऐसा कोई भी परवाना ( यदि प्राप्त कर लिया गया हो ) या कोई करार या अन्य कागज, जिसके द्वारा ऐसा स्वार्थ इस खण्डका उल्लंघन करके प्राप्त किया गया है, ऐसे प्रवासीके इस अधिनियमके खण्ड पाँचके अन्तर्गत दण्डित होनेपर रद हो जायेगा।

९. इस उपनिवेशमें पाया जानेवाला ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जिसपर उचित रूपसे निषिद्ध प्रवासी होनेका सन्देह है, किसी भी न्यायाधीश, शान्ति-रक्षक न्यायाधीश, पुलिस अधिकारी, या विभागके अधिकारी द्वारा वारंटके बिना गिरफ्तार किया जा सकता है और यथासम्भव शीघ्र आवासी न्यायाधीशके न्यायालयमें कानूनके अनुसार कार्रवाईके लिए पेश किया जायेगा।

१०. कोई भी निषिद्ध प्रवासी केवल इस कारण इस अधिनियमकी धाराओंसे मुक्त न होगा या उपनिवेशमें न रहने दिया जायेगा कि उसे यह जानकारी नहीं दी गई थी कि वह उपनिवेशमें नहीं आ सकता, या वह भूलसे या यह पता न लगनेसे कि वह निषिद्ध प्रवासी है, आ जाने दिया गया है।

११. किसी भी व्यक्तिको, जिसे इस अधिनियमके अन्तर्गत इस उपनिवेशसे निकालनेकी आज्ञा दी गई हो, और किसी भी अन्य व्यक्तिको, जिसे इस अधिनियमको भंग करके उसे इस उपनिवेशमें प्रवेश करने या रहनेमें सहायता देने या उसके उकसानेसे सम्बन्धित धारा सातके अन्तर्गत दण्डित किया गया हो, वह सब खर्च देना होगा जो निष्कासनीय व्यक्तिको इस उपनिवेश या अन्य स्थानसे निकालनेमें उठाना पड़े; और उस खर्चकी रकम शेरिफके सामने विभागके अधिकारीका प्रमाणपत्र प्रस्तुत करनेपर, जिसमें उस खर्चेकी विगत और पूरी-पूरी रकम दी हुई हो, उस खर्चके देनदार व्यक्तिको उपनिवेशमें मौजूद सम्पत्तिकी कुर्की करके उस तरीकेसे वसूल की जायेगी जो सर्वोच्च न्यायालयके निर्णयके अन्तर्गत दिया गया है; कुर्कीसे प्राप्त रुपया शेरिफ द्वारा। खजानचीको दे दिया जायगा और वह उक्त खर्च और कुर्कीका खर्च काटनेके बाद बाकी रकम उस व्यक्तिको भेज देगा जिससे वह वसूल की जायेगी या जो उसके द्वारा उसको लेनेके लिए नियुक्त किया जायेगा।

१३. किसी मुकदमेमें यह सिद्ध करनेका भार अभियुक्तपर रहेगा कि वह इस उपनिवेशमें, इस अधिनियमको या विनियमको भंग करके प्रविष्ट नहीं हुआ है, या नहीं रह रहा है।

१४. प्रत्येक आवासी न्यायाधीशको इस अधिनियमके या किसी विनियमके सभी उल्लंघनोंपर अधिकतम दण्ड देनेका अधिकार होगा।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ४-१-१९०८