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परिशिष्ट २

ट्रान्सवालके स्वर्ण-कानूनका मसविदा[१]

असाधारण धाराएँ

गत ३० तारीखको ट्रान्सवाल सरकार के "गज़ट" का एक असाधारण अंक प्रकाशित हुआ था। इसमें "मूल्यवान और साधारण धातुओंके अन्वेषण और खुदाईसे सम्बन्धित कानूनोंके एकीकरण और संशोधन तथा तत्सम्बन्धी प्रासंगिक मामलोंकी व्यवस्था करनेके लिए एक विधेयक" छपा है। विधेयकके इस मसविदेमें १३७ खण्ड हैं और यह "गज़ट" के २३ पृष्ठोंमें छपा है। हम इस विधेयकसे रंगदार लोगोंसे सम्बन्धित अंशोंको लेते हैं। खण्ड ३ में अन्य बातोंके साथ निम्नलिखित परिभाषाएँ दी गई हैं:

"रंगदार व्यक्ति" का अर्थ होगा कोई आफ्रिकी या एशियाई वतनी या रंगदार अमरीकी व्यक्ति, कुली [ भारतीय ] या चीनी।

"खनि-जिला" का अर्थ होगा उन जिलोंमें से कोई एक जिनमें यह उपनिवेश इस अधिनियमके अनुसार फिलहाल बाँटा गया है और जब भूमिके सिलसिलेमें इसका प्रयोग होगा तब इसका अर्थ वह खनि-जिला होगा जिसमें ऐसी भूमि होगी।

"उद्घोषित क्षेत्र" में समस्त उद्घोषित क्षेत्र और किसी अनुद्घोषित क्षेत्रका उतना भाग जितना इस अधिनियमके अन्तर्गत किसी उद्घोषित क्षेत्रका भाग घोषित किया जाये या उसके आरम्भके समय किसी उद्घोषित क्षेत्रका भाग हो, शामिल माना जायेगा।

"उद्घोषित भूमि" का अर्थ होगा वह भूमि जो इस अधिनियम या १८९८ के कानून सं० १५ के अन्तर्गत या किसी पहलेके कानूनके अन्तर्गत सार्वजनिक खनि उद्घोषित की गई हो, बशर्ते कि वह कानूनन अनुद्घोषित न हो गई हो।

खण्ड २४. जब कोई भूमि, जो वतनी बस्ती हो या वतनी वस्तीका भाग हो, सार्वजनिक खनि उद्घोषित की जायेगी तब निम्नलिखित धाराएँ प्रयुक्त होंगी;

(१) उस बस्तीमें रहनेवाला प्रधान और कबीला उस स्थानपर अपने जानवर चरा सकेगा, परन्तु उसी हदतक जिस हदतक ऐसा अधिकार अन्वेषण और खुदाईमें बाधा न डाले।

(२) पशुओंके बाद और ऐसी जमीनें जो उद्घोषणाके इरादेकी सूचनासे पहले दो वर्षतक व्यवहारतः खेती और सिंचाईके काम आती रही है, ऐसे प्रधान और कबीलेके इस्तेमालके लिए तबतक सुरक्षित रखी जायेंगी जबतक वे यह स्वीकृति न दे देंगे कि संरक्षण न किया जाये।

(३) ऐसे प्रधान और कबीलेके घरेलू कामों और उनके पशुओंको पानी देनेके लिए यथेष्ट जल सुरक्षित रखा जायेगा।

(४) यदि ऐसी बस्ती शाही भूमि होगी तो अन्वेषकोंके अधिकारोंकी स्वीकृति या बस्तीके सार्वजनिक खनि उद्घोषित हो जानेके कारण प्रधान और कबीलेको जिस भूमिके उपयोगसे वे वंचित किये गये हैं उसके समान क्षेत्रफलकी दूसरी भूमिका उपयोग प्रदान किया जायेगा।

(५) यदि ऐसी भूमि किसी ऐसे प्रधान या कबीलेकी है तो कोई व्यक्ति, जो उसपर धातु-सम्बन्धी अधिकार प्राप्त करता है, अन्वेषककी हैसियतसे प्राप्त किन्हीं भी अधिकारोंके अतिरिक्त मन्त्रीकी सलाहसे खानके लिए एक जगह चुन सकता है, जिसका आकार वतनी विभागका मन्त्री निश्चित करेगा; परन्तु वह खानकी जगह उस भूमिके, जिसपर ऐसा धातु-सम्बन्धी अधिकार दिया गया है, विस्तारके पाँचवें भागसे अधिक न होगी। ऐसे धातु-सम्बन्धी

 
  1. यह संक्षेप गांधीजीका किया हुआ है; देखिए "जोहानिसबर्गकी चिट्टी", पृष्ठ १७०।