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परिशिष्ट ४

नेटाल प्रवासी विभागका विवरण

नेटालके प्रवासी विभागका १९०७ का वार्षिक विवरण उसके प्रमुख श्री हैरी स्मिथ द्वारा प्रकाशित किया गया है। नीचे उससे कुछ दिलचस्प तथ्य दिये जाते हैं।

इस विभागका १९०७ का वार्षिक राजस्व १९०६ के राजस्वसे १७८ पौंड ४ शिलिंग ८ पेंस ज्यादा था। [ उसी समयमें ] जहाजपर चढ़ने का पारक-शुल्क ५८ पौंड अधिक हो गया था। जबकि अन्य विभागोंकी अर्थ-व्यवस्था सरकारको करनी पड़ती है, प्रवासी विभाग स्वावलम्बी है।

इस समालोच्य वर्षमें २७,५२२ मुसाफिर आये, उनमें १५,९५८ ब्रिटिश, २,२६२ चीनी और ८,१७१ भारतीय थे। गिरमिटिया भारतीयोंकी संख्या ६,४८९ थी। उनमें ३,९४२ पुरुष, १,६४१ स्त्रियाँ और ९०६ बच्चे थे। इनमेंसे ५,२०६ [ दावोंकी तस्दीकके लिए ] रोके गये। इनमें ३२३ अरब, २५६ चीनी, २,४५९ भारतीय, ३१७ सिंहली और १,४०७ जंजीबारके लोग थे। बाकीमें दूसरे सब फुटकर समुदाय थे। जबकि १९०६ में ९ प्रमाणपत्र उन लोगों को दिये गये थे जो शैक्षणिक परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे। १९०७ में ऐसे ५९ प्रमाणपत्र दिये गये थे।

१९०६ में कुल ११,४२५ अधिवास-प्रमाणपत्र दिये गये थे; १०७ में १२,४८३ जारी किये गये। ७९ जब्त कर लिये गये थे, क्योंकि वे जिनके नाम जारी किये गये थे उनसे भिन्न लोगोंके पास निकले थे। [ अपने दावोंकी तस्दीकके लिए ] जो रोके गये थे उनमें चार---एक गोरा और तीन एशियाई---भाग निकले। गोरा बादमें पकड़ा गया और वापस भेजा गया। जो लोग परवानोंके होते हुए भी रोके गये थे उनमें १२ बच निकले। कुल मिलाकर १६ व्यक्ति, जिनमें कुछ बदनाम और जरायमपेशा गोरे या बदनाम औरतें थीं, निर्वासित किये गये। जब अधिवासका प्रमाणपत्र चाहनेवाले प्रार्थियोंकी जाँच की गई तब उनमें ९० प्रतिशत विवाहित पाये गये। ५० प्रतिशतने अपनी पत्नियोंको [ नेटालमें ] १० से १५ और २० वर्षोंसे देखा नहीं था। १९०३ में जो एशियाई नेटालमें आये उनमें ५१ स्त्रियाँ और २०९ बच्चे थे; १९०४ में ४२ स्त्रियाँ और १३४ बच्चे थे; १९०५ में ४८ स्त्रियाँ और १९५ बच्चे थे; १९०६ में ६९ स्त्रियाँ और २३७ बच्चे थे और १९०७ में ७१ स्त्रियाँ और १३९ बच्चे थे।

[ गुजरातीके अंग्रेजी अनुवाद से ]
इंडियन ओपिनियन, २२-२-१९०८