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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

( जनवरी-अगस्त, १९०८ )

जनवरी १: ट्रान्सवाल प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम[१] (१९०७ की क्र० सं० १५) लागू हुआ। ट्रान्सवाल प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम और ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम[२] (१९०७ का कानून २) के विरोधमें फोर्डसवर्गकी सुरती मस्जिदमें सार्वजनिक सभा।

जनवरी ३: नवाब खाँ और समुन्दरखाँपर ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमके अन्तर्गत मुकदमा चलाया जा रहा था; गांधीजी उनकी पैरवी करनेके लिए जोहानिसबर्ग न्यायालयके समक्ष उपस्थित हुए।

जनवरी ४: ब्रिटिश भारतीय संघने राजस्व आदाता (रिसीवर ऑफ रेवेन्यूज़) को सूचित किया कि यदि उन भारतीयोंको अनुमतिपत्र नहीं दिया जाता, जिन्होंने ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमके अन्तर्गत पंजीयन नहीं कराया है, तो वे बिना अनुमतिपत्रोंके व्यापार करेंगे।

गांधीजीने 'स्टार' को एक पत्र लिखकर सूचित किया कि ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम भारतीयोंपर लगाये गये एक ऐसे आरोपपर आधारित है, जिसे साबित नहीं किया गया।

मेविलमें स्मट्सने भाषण देते हुए कहा कि भारतीयोंको उनके नेताओंने गुमराह किया है; और यह भी घोषणा की कि देशकी कोई भी संसद ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमको रद नहीं कर सकती।

जनवरी ४ के बाद: गांधीजीने मेविलके भाषणके बारेमें जनरल स्मट्ससे मुलाकातकी कोशिश की; किन्तु जनरल स्मट्सने मिलनेसे इनकार कर दिया।

जनवरी ६: 'स्टार' और 'ट्रान्सवाल लीडर' से एक मुलाकातमें गांधीजीने भारतीयोंके ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम विरोधी रुखका संक्षेपमें वर्णन किया।

जनवरी ८: रायटरको बताया कि यदि ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम मुल्तवी कर दिया जाये, तो सभी भारतीय एक महीनेके भीतर पंजीयन करा लेंगे।

जनवरी १० के पहले: 'इंडियन ओपिनियन' में लिखकर भारतीयोंके जेल और देश निकाला सहनेके दृढ़ इरादेको दोहराया।

"पैसिव रेजिस्टेंस" के लिए गुजरातीमें 'सत्याग्रह' शब्द तय किया।

जनवरी १०: ट्रान्सवालके भारतीयोंको दृढ़ रहनेके लिए अन्तिम सन्देश दिया।

'स्टार'को आश्वासन दिया कि यदि ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमको अनिवार्य न रखा जाये, तो भारतीय अपनी इच्छासे पंजीयन करा लेंगे।

अपने मुकदमेके पहले एक सभामें व्याख्यान दिया।

 
  1. ट्रान्सवाल इमिग्रैंटस रिस्ट्रिक्शन ऐक्ट।
  2. ट्रान्सवाल एशियाटिक रजिस्ट्रेशन ऐक्ट।