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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

गांधीजी प्रिटोरिया ले जाये गये। जनरल स्मट्ससे भेंट हुई। स्वेच्छया पंजीयन[१] और उसके वैधीकरणके[२] बारेमें समझौता हो गया।

चमनेसे सूचना मिली कि एशियाइयों द्वारा कराये गये स्वेच्छया पंजीयनको ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमके अन्तर्गत वैध करनेका प्रस्ताव है।

गांधीजीने स्मट्ससे दूसरी मुलाकातकी कोशिश की, किन्तु सफल नहीं हुए।

'रैंड डेली मेल' और 'ट्रान्सवाल लीडर' को भेंट देते हुए समझौतेको स्पष्ट किया। जेलमें अपने प्रति किये गये व्यवहारके विषयमें भी कुछ कहा।

अर्द्धरात्रिको एक सार्वजनिक सभामें भाषण दिया। सभा हमीदिया मस्जिदके अहातेमें हुई जिसमें लगभग एक हजार श्रोता उपस्थित थे।

जेलसे बाकायदा मुक्त किये गये।

ब्रिटिश भारतीय संघकी बैठकमें समझौतेको समझाते हुए व्याख्यान दिया।

रायटरको भेंट देते हुए कहा कि अधिवासका अधिकार-प्राप्त भारतीयोंको भावी दक्षिण आफ्रिकी राष्ट्रका अंग माना जाना चाहिए; श्री स्मट्ससे इस बातपर सहमत हुए कि नेटालमें गिरमिटिया प्रथा बन्द कर दी जानी चाहिए।

जनवरी ३१: सारे सत्याग्रही कैदी छोड़ दिये गये। अखबारोंके प्रतिनिधियोंसे एक भेंटमें श्री स्मट्सने कहा कि समझौतेके वैध होने तक एशियाई बिना परवानोंके व्यापार कर सकते हैं; कहा कि ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमको रद करनेकी मांग असंगत है, और भारतीय बराबर आग्रहशील नहीं रहे हैं कि उसे रद किया ही जाये।

फरवरी १: श्री स्मट्सको लिखा कि ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमके अन्तर्गत स्वेच्छया पंजीयनको वैध बनानेका विचार ठीक नहीं है; और यह सुझाया कि इसे ट्रान्सवाल प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम के अन्तर्गत वैध बना देना चाहिए।

समाचारपत्रोंके प्रतिनिधियोंको मुलाकात देते हुए इस आरोपका खण्डन किया कि ब्रिटिश भारतीय चोरी-छिपे प्रवेश कर रहे हैं। यह आरोप ही ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमका आधार था।

फरवरी २: जोहानिसबर्गमें ब्रिटिश भारतीय संघकी सभामें घोषणा की कि यदि अँगुलियोंकी छाप देनेवाले व्यक्तियोंपर हमला होना ही है, तो मैं सबसे पहले अँगुलियोंकी छाप दूँगा।

फरवरी ३: जनरल स्मट्ससे मिले। श्री चैमनेकी उपस्थितिमें स्मट्सने अपने इस वचनको दोहराया कि यदि ट्रान्सवालके एशियाई स्वेच्छासे पंजीयन करा लेंगे, तो ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम रद कर दिया जायेगा।

भारतमें वाइसरायकी कौंसिलमें श्री गोखलेने कहा कि ट्रान्सवालके भारतीयोंके साथ अन्यायपूर्ण और अपमानजनक व्यवहार हो रहा है; और पूछा कि क्या भारत सरकार उसके विरुद्ध जनतामें व्याप्त रोषकी गम्भीरतासे अवगत है। सरकारकी ओरसे इसका जवाब देते हुए श्री फिंडलेने कहा कि हमें ट्रान्सवालकी अपनी प्रजाके साथ सहानुभूति है; हमें आशा है कि समझौतेकी जो बातचीत चल रही है उसके फलस्वरूप उनकी उचित शिकायतें दूर हो जायेंगी।

 
  1. वाल्टरी रजिस्ट्रेशन।
  2. वैलिडेशन।