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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

लगाया; तथापि आशा व्यक्त की कि वे ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमको रद कर देंगे।[१]

मई १७: ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष श्री ईसप मियाँपर एक पठान द्वारा हमला।

मई १८: जोहानिसबर्ग वाई० एम० सी० ए० में भाषण करते हुए गांधीजीने दावा किया कि रंगदार कौमें साम्राज्यका एक अभिन्न अंग हैं। उन्होंने अंग्रेजोंके इस उद्देश्यमें आस्था प्रकट की कि वे अपने अधीन कौमोंको अपने बराबर दर्जा देना चाहते हैं।

मई २०: 'इंडियन ओपिनियन' में पठान-कौमसे अपील की कि वे इक्के-दुक्के पठानों द्वारा की जानेवाली हिंसात्मक कार्रवाइयोंसे अपनी असहमति प्रकट करें।

अपने संवाद-पत्रमें ईसप मियाँपर किये गये हमलेके विषयमें लिखते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसीमें सत्याग्रह करनेका साहस न हो तो वह आत्मरक्षाके लिए शस्त्रोंका सहारा ले सकता है।

लॉर्डसभामें लॉर्ड ऐम्टहिलने नेटाल विधेयकोंके सम्बन्धमें साम्राज्यीय सरकारकी निष्क्रियताकी शिकायत की। उन्होंने कहा कि इन विधेयकोंसे ट्रान्सवालको नेटालका अनुसरण करनेकी दिशामें बढ़ावा मिला है और वह क्रूगर-कालसे भी अधिक अत्याचारी नीति लागू करनेकी कोशिश कर रहा है।

मई २१: गांधीजीने स्मट्सको ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम रद करने की सार्वजनिक घोषणा करनेके लिए लिखा।

मई २२: उत्तरमें लेनने लिखा कि जनरल स्मट्स यह प्रार्थना माननेमें असमर्थ हैं।

'ट्रान्सवाल लीडर' ने समाचार दिया कि सरकार स्वेच्छया पंजीयनको वैध बनानेके लिए विधेयक पेश कर रही है और इसके अन्तर्गत पंजीयन करानेवाले लोगोंपर ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम लागू नहीं होगा।

एशियाई पंजीयकने ब्रिटिश भारतीय संघको लिखा कि यदि एशियाई उपनिवेशमें नाबालिगोंको लायेंगे तो ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमके अन्तर्गत उन्हें सजा मिलेगी।

मई २३: ब्रि० भा० सं० के अध्यक्षने उत्तर देते हुए कहा कि भारतीयोंने समझौतेके अन्तर्गत स्वेच्छया पंजीयन कराया है इसलिए वे ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमको एक मृतपत्र मानते हैं और उसे लागू करना समझौते का उल्लंघन होगा।

कार्टराइटने गांधीजीको ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन वैधीकरण विधेयकका मसविदा दिखाया।

मई २६: ब्रिटिश भारतीय संघने उपनिवेश-सचिवको सूचित किया कि उन्होंने समझौतेमें दिये गये आश्वासनको पूरा नहीं किया है; इसलिए ब्रिटिश भारतीय स्वेच्छया पंजीयनके लिए दिये गये अपने प्रार्थनापत्र वापस लेनेका निर्णय करते हैं।

गांधीजी, बावजीर, नायडू और लिअंग क्विनने चैमनेको लिखकर अपने प्रार्थनापत्र वापस माँगे।

 
  1. देखिए दक्षिण अफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय २५।