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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमको रद कराने का आश्वासन माँगा। कहा कि यदि वह रद नहीं किया गया तो प्रार्थनापत्रोंको वापस करानेके लिए सर्वोच्च-न्यायालयमें अर्जी दी जायेगी। कार्टराइटको लिखा कि वे प्रगतिवादियोंको ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमके रद किये जाने में बाधक न बननेके लिए समझायें।

जून १२: जनरल स्मट्सको तार किया कि एक बड़े वकीलकी सलाहपर उन्होंने सर्वोच्च-न्यायालयके समक्ष प्रार्थनापत्रोंकी वापसीके लिए मुकदमे दायर करना तय किया है।

जनरल स्मट्सने अगले दिन मिलनेके लिए निमन्त्रित किया।

जून १३ के पहले: 'इंडियन ओपिनियन' में रोडेशिया विधेयकके विरोधमें लिखा। उसमें भारतीयोंके अनिवार्य पंजीयन की बात थी।

जून १३: जनरल स्मट्ससे मिले। जनरल स्मट्सने एक हफ्तेमें निर्णय करनेका वचन दिया। ब्रिटिश भारतीय संघकी समितिकी बैठकमें सर्वोच्च-न्यायालयके समक्ष जानेकी बात एक हफ्तेके लिए मुल्तवी की गई।

उसी दिन एक पत्रमें बातचीतका उल्लेख करके गांधीजीने दलीलें देते हुए कहा कि ट्रान्सवाल प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियमको निम्नलिखित लोगोंके अधिकारोंकी रक्षा करनी चाहिए: (१) युद्धसे पहलेके शरणार्थी, (२) तीन पौंडी पंजीयन प्रमाणपत्र[१] और शान्ति-रक्षा अध्यादेशके[२] अन्तर्गत अनुमतिपत्र प्राप्त व्यक्ति; और कहा कि इस समझौतेके कारण आगे आनेवाले शिक्षित प्रवासियोंके हक न मारे जायें।

जून १६: जोहानिसबर्गके पत्रोंमें भ्रामक समाचार प्रकाशित हुआ कि साम्राज्य सरकारके हस्तक्षेपसे ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम रद किया जानेवाला है।

जून १९: गांधीजीको तार द्वारा दूसरे दिन श्री स्मट्ससे मुलाकातका निमन्त्रण।

जून २०: गांधीजी स्मट्ससे मिले। उन्होंने फिर २२ जूनको मिलनेके लिए कहा और कहा कि उस समय "जो दो-एक मामूली मुद्दे बच गये हैं उनपर विचार" किया जायेगा।

जून २२: 'ट्रान्सवाल लीडर' में सम्पादकीय; उसमें कहा गया कि ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम रद हो जायेगा।

जनरल स्मट्सने मुलाकातके समय गांधीजीको ट्रान्सवाल प्रवासी प्रतिबन्धक संशोधन अधिनियमका मसविदा दिखाया---इसे भूत और भविष्यमें स्वेच्छया पंजीयन करानेवाले सभी व्यक्तियोंके लिए "उत्तम विधेयक" कहा गया। किन्तु इसमें प्रवासियोंके वे तीन वर्ग[३] सम्मिलित नहीं थे और उन्हें निषिद्ध प्रवासी माना गया था। शिक्षित भारतीयोंके प्रश्नको सर्वोच्च न्यायालयके सामने ले जानेका गांधीजीका प्रस्ताव स्मट्सने अमान्य कर दिया। स्वेच्छया पंजीयन कराने वालोंके दावोंकी एशियाई पंजीयक द्वारा अस्वीकृतिकी अदालती जाँच करानेके अधिकारको भी स्मट्सने नहीं माना। गांधीजीने

 
  1. पाउंड र्थी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट्स।
  2. पीस प्रिजर्वेशन ऑर्डिनेन्स।
  3. देखिए इसी क्रममें जून १३।