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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

जुलाई २ के पहले: साप्ताहिक 'संवाद-पत्र' में गांधीजीने घोषित किया कि अब सत्याग्रह अपने ही स्वार्थका संघर्ष नहीं रहा; बल्कि दूसरों---तीन प्रकारके 'निषिद्ध प्रवासियों'-- के हितोंका संघर्ष बन गया है।

स्वेच्छया पंजीयनके लिए दिये गये प्रार्थनापत्र वापस न किये जायें तो पंजीयन प्रमाणपत्रोंको जला दिया जाये--यह बात सत्याग्रह जारी रखनेके तरीकेके रूपमें गांधीजीने पहली बार कही।

जुलाई २: सर्वोच्च न्यायालयाने अस्वातकी याचिका (पिटिशन) रद की।

गांधीजीने ट्रान्सवालके अखबारोंको लिखा और स्मट्सके साथका सारा पत्र-व्यवहार प्रकाशनार्थ भेजा।

जुलाई ४: पादरी डोकने 'ट्रान्सवाल लीडर' को पत्र लिखा कि ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमके खिलाफ भारतीयोंका आन्दोलन करना सर्वथा उचित है।

जुलाई ५ के पहले: गोरे मध्यस्थ स्मट्सका बताया जानेवाला एक प्रस्ताव लेकर आये। उसमें कहा गया था कि ३ पौंडी पंजीयन प्रमाणपत्रवाले व्यक्तियोंको प्रवेशाधिकारकी रियायत दे दी जायेगी और चैमने द्वारा जिन "स्वेच्छया पंजीयन" कराने वालोंके दावे अस्वीकृत किये जायेंगे उन्हें अदालतमें अपीलका अधिकार भी दे दिया जायेगा। बदलेमें भारतीयोंको शिक्षित-भारतीयोंकी बात छोड़नी होगी। भारतीयोंने यह प्रस्ताव अमान्य कर दिया।

जुलाई ५: हमीदिया मस्जिदमें सार्वजनिक सभा। उसमें सर्वोच्च न्यायालयके निर्णयसे उत्पन्न परिस्थितिपर विचार किया गया और आगामी रविवारको पंजीयन प्रमाणपत्र जलानेकी बात तय हुई।

जुलाई ६: ब्रि० भा० सं०[१] के अध्यक्षने उपनिवेश-सचिवको तीनों प्रकारके निषिद्ध प्रवासियोंके कानूनी हकोंपर जोर देते हुए लिखा और स्पष्ट किया कि (१) संघ जिनका प्रतिनिधित्व नहीं करता, उनके अधिकार बेचनेका उसे हक नहीं है और (२) भारतीय ऐसी कोई बात स्वीकार नहीं कर सकते जिससे भविष्यमें शिक्षित भारतीयोंका सहयोग पा सकनेकी कोई सूरत ही न बचे। उन्होंने समाजका यह निर्णय भी सूचित किया कि १२ जुलाईको प्रमाणपत्र जलाये जायेंगे।

जुलाई ७: एशियाई पंजीयकने[२] नगरपालिकाओंको हिदायत दी कि परवानोंके लिए प्रार्थनापत्र देनेवाले भारतीय व्यापारियोंसे ट्रा० ए० पं० अ०[३] के अन्तर्गत अँगुलियोंकी छाप देनेको कहा जाये। गांधीजीने इसका यह अर्थ माना कि सरकार स्वेच्छया पंजीयन करानेवालोंपर भी ट्रा० ए० पं० अ० लागू करना चाहती है।

जुलाई ८: गांधीजीने अदालतमें सोराबजी शापुरजीकी पैरवी की।

 
  1. ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन)।
  2. रजिस्टार ऑफ एशियाटिक्स।
  3. ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम।