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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जुलाई ९: ब्रि० भा० सं० के अध्यक्षने उपनिवेश-सचिवके पास दो बातें लिख भेजी---(१) कहा कि व्यापारी परवानोंके लिए अर्जी देनेवाले भारतीयोंसे अँगुलियोंकी छाप माँगना समझौतेको तोड़ना है; (२) ट्रा० प्र० पं० अ०[१] के अन्तर्गत शैक्षणिक कसौटीको मनमाना कड़ा किया जा सकता है। पत्रोत्तर आने तक भारतीय जुलाई १२ को प्रमाणपत्र जलानेके लिए होनेवाली आम सभा स्थगित कर रहे हैं।

जुलाई १०: जोहानिसबर्गके न्यायालय द्वारा सोराबजी शापुरजीको एक हफ्तेके भीतर उपनिवेश छोड़ने का हुक्म।

जुलाई ११: गांधीजीने कार्टराइटसे स्मट्सके प्रस्तावका[२] स्पष्टीकरण चाहा।

जुलाई १४: कार्टराइटने फोनपर स्मट्सके प्रस्तावकी पुष्टि की।

गांधीजीने कार्टराइटको पत्र लिखा और कहा कि तीन पौंडी डच पंजीयन प्रमाणपत्रोंवाले भारतीयोंकी अनुमानित संख्या १,००० होगी।

शिक्षित भारतीयोंके प्रश्नको सर्वोच्च न्यायालयके सामने रखनेपर फिर रजामन्दी जाहिर की और कहा कि इसका आधार रंगभेद न होकर कड़ी शैक्षणिक कसौटी रहे। उन्होंने सत्याग्रह जारी रखनेका अपना दृढ़ निश्चय व्यक्त किया। स्मट्सने आरोप लगाया था कि गांधीजीने "स्वेच्छया पंजीयन" लेनेवाले हर मुसलमानसे दो गिन्नी वसूल की हैं। गांधीजीने इस आरोपका खण्डन किया।

जुलाई १५: 'स्टार' में समाचार छपा कि एशियाई प्रश्नके हल होनेकी सम्भावना है।

जुलाई १६: ब्रि० भा० सं० के अध्यक्षने 'स्टार' में लिखकर प्रमुख भारतीयों द्वारा "विरोध और तपस्या" के रूपमें बिना परवानोंके फेरी लगाने के निर्णयकी घोषणा की।

बिना परवानोंके फेरी लगाना शुरू।

सार्वजनिक सभामें पंजीयन प्रमाणपत्रोंकी होली।

रायल कलोनियल इंस्टिट्यूट लन्दनमें लॉर्ड मिलनरका "घनिष्टतर ऐक्य" पर भाषण। इसमें उन्होंने उपनिवेशोंमें रंग-विरोधी पूर्वग्रह और गलतफहमीको कम करनेके लिए साम्राज्यमें अधिकाधिक पारस्परिक अवलम्बनका सुझाव रखा।

जुलाई २०: इब्राहीम इस्माइल और सुलेमान बगसपर बिना परवानोंके फेरी लगानेके अपराधमें मुकदमा चला और उन्हें जेलकी सजा दी गई।

गांधीजीने अदालतमें सोराबजी शापुरजी की पैरवी की। सोराबजी शापुरजीको ट्रान्सवालके प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियमके अन्तर्गत सजा न देकर शान्ति सुरक्षा अध्यादेशके अन्तर्गत १ महीने की सख्त सजा दी गई।

अदालतमें प्रवेशकी इच्छा करनेवाले भारतीयोंपर पुलिसने हमला किया।

अदालतके अहातेके बाहर सार्वजनिक सभामें बोलते हुए गांधीजीने व्यापारियोंसे कहा कि वे शिक्षित भारतीयोंकी हकतलफ़ीके प्रस्तावके विरोध में बिना परवाना व्यापार करके जेल जानेके लिए आगे आयें।

 
  1. ट्रान्सवाल प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम।
  2. देखिए इसीमें, 'जुलाई ५ के पहले'।