पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/५६४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५२४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जुलाई २८: गांधीजीने अदालतमें हरिलाल और अन्य व्यक्तियोंकी पैरवी की।

कामन्स सभामें हैरॉल्ड कॉक्सने पूछा कि सम्राट्की सरकारकी रायमें सोराबजी शापुरजीके मुकदमेमें वांछनीयताकी कसोटी क्या है---प्रजाति अथवा शिक्षा?

जुलाई ३१: साम्राज्यीय संसदमें कर्नल सीलीने उपनिवेशमें भारतीयोंकी स्थिति सम्बन्धी एक प्रश्नके उत्तरमें कहा कि स्वशासित उपनिवेश चाहे जिन्हें आनेसे रोक सकते हैं; किन्तु जिन्हें प्रवेश मिल गया है उन्हें उनके पूरे हक दिये जाने चाहिए। शिष्टमण्डलने, जिसके सदस्य सर चार्ल्स ब्रूस, सर मंचरजी, हैरॉल्ड कॉक्स, जी० के० गोखले, और श्री रिच थे, दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीयोंकी ओरसे उपनिवेश-मन्त्री लॉर्ड क्रूके सामने उनकी माँगें रखीं।

अगस्त १ के पहले: गांधीजीने बहुत सोच-विचारके बाद 'इंडियन ओपिनियन' में लिखा कि भारतमें ब्रिटिश शासनके बारेमें लोकमान्य तिलकका मत न माना जाये। "ब्रिटिश शासनको उखाड़ फेंकनेके लिए हिंसाका प्रयोग "हानिप्रद ही नहीं, निरर्थक भी" होगा। चीनी संघने भारतीयोंकी सत्याग्रह पद्धति अपनाना निश्चित किया। अध्यक्ष क्विन और अन्य चीनियोंने जोहानिसबर्गमें फेरी लगाना शुरू किया।

अगस्त ८ के पहले: 'इंडियन ओपिनियन' में पत्र लिखकर समझाया कि देशके लिए जेल जाना हरिलालकी शिक्षाका अंग है।

लॉर्ड सेल्बोर्नने वेरीनिगिंगमें भाषण देते हुए कहा कि साम्राज्यीय सरकार ट्रान्सवालमें केवल युद्धके पहलेके ब्रिटिश भारतीयोंके अधिकारोंकी रक्षा करनेके लिए बाध्य है।

अगस्त १० के पहले: 'प्रिटोरिया न्यूज' के सम्पादक स्टेंटने विटबैंकमें प्रगतिवादियोंकी एक सभामें ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमको 'अन्यायपूर्ण कानून' बताया और कहा कि सरकार उसे लागू नहीं कर सकती। यह भी कहा कि विवादमें गांधीजीके आगे स्मट्स फिर मुँह की खायेंगे।

अगस्त १०: गांधीजीने अदालतमें हरिलाल गांधीकी पैरवी की।

मुकदमेके बाद सभामें कहा कि सत्याग्रही-व्यापारियोंको जेल भेजनेके बजाय उनका माल नीलाम करना "संगठित और कानूनी डाका है।" और कहा कि "चीनी आदमीकी आत्महत्या और श्री नायडूके बच्चेकी मृत्यु" के लिए स्मट्स उत्तरदायी हैं।

गांधीजीको खबर मिली कि प्रगतिवादी दल ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमके रद किये जानेका विरोध करेगा।

अगस्त ११: 'ट्रान्सवाल लीडर' ने अपने सम्पादकीयमें कहा कि "एशियाइयोंको सताना एक गहरे राजनीतिक कुचक्रका अंग है।" "हमने राजनीतिज्ञताका परिचय पानेकी सच्चे दिलसे कोशिश की; परन्तु अब हम थक चले हैं।"

अगस्त १२: गांधीजीने 'ट्रान्सवाल लीडर' को मुलाकात दी और कहा कि स्वेच्छया पंजीयनको वैध करनेवाला प्रस्तावित विधेयक समझौतेकी शर्तोंका उल्लंघन करता है। वह न तो ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियमको रद करता है और न स्वेच्छया पंजीयन